लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति की ओर से अयोग्य ठहराए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को अब सिर्फ अदालत से ही राहत की उम्म्मीद है। लेकिन इसके साथ ही उप चुनाव की भी तैयारी करने लगे हैं, आप ने रविवार को संकेत दिया कि यदि कोर्ट से उसे न्याय नहीं मिला तो वह फिर चुनाव लड़कर जनादेश हासिल करेगी।
उपचुनाव !
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने भले ही जनता की अदालत में जाने और कांग्रेस व भाजपा उम्मीदवारों की जमानत जब्त कराने का दम भरा हो, लेकिन जिन विधायकों की सदस्यता गई है, उनकी हालत बहुत अच्छी नहीं है। क्योंकि अगर 20 सीटों पर उपचुनाव हुए तो उसे इन सीटों को बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ेगी।
2015 में हुए चुनावों में चला था आम आदमी का सिक्का
कांग्रेस जहां दिल्ली विधानसभा में खाता खोलने के सपने देख रही है को बीजेपी भी इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है। 2015 में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस का दिल्ली से पूरी तरह सफाया कर दिया था। आम आदमी पार्टी को 67, बीजेपी को 3 और कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी।
आप में उथल-पुथल
लेकिन अब हालात पिछले कुछ सालों में बदल गए हैं, लेकिन अब आम आदमी पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं है। एक ओर जहां दो विधायक कपिल मिश्रा और देवेंद्र सेहरावत पार्टी से निलंबित चल रहे हैं तो दूसरी ओर जितेंद्र सिंह तोमर, आसिम अहमद खान, संदीप कुमार पार्टी के विधायक तो हैं लेकिन इनके ऊपर लगे आरोपों के बाद मंत्री पद से हटाया गया है।
क्या होगा दिल्ली का
वहीं हाल ही में केजरीवाल के पुराने साथी और पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास बगावत का रुख अपनाए हुए हैं। इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल के सामने सबको साथ रखने की भी चुनौती होगी। फिलहाल देखने वाली बात यह है कि इन 20 विधायकों के पास क्या रास्ते हैं।आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रपति के फैसले पर पहले दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है और न्यायपालिका को राष्ट्रपति के फैसले पर समीक्षा करने का भी अधिकार है। ऐसे में आने वाले दिनों में दिल्ली के सियासी गलियारों में बहुत कुछ नया देखने को मिल सकता है।…Next
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