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गुजरात में AAP, BSP और NCP को NOTA से भी कम वोट, जानें किसे मिले कितने वोट

गुजरात विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद दोनों बड़ी पार्टियां अपने-अपने प्रदर्शन को लेकर मंथन कर रही हैं। चुनाव परिणाम के बाद भाजपा सरकार बनाने की तैयारी और मुख्‍यमंत्री का नाम तय करने में जुटी है। वहीं, कांग्रेस गुजरात में अपने प्रदर्शन में सुधार के बावजूद सरकार बनाने से वंचित रहने को लेकर विश्‍लेषण कर रही है। मगर प्रदेश में छोटी मानी जा रही पार्टियों का प्रदर्शन तो इतना निराशाजनक रहा कि उन्‍हें नोटा (कोई भी पसंद नहीं वाले ऑप्शन) से भी कम वोट मिले। इनमें आप, एनसीपी और बसपा जैसी पार्टियां शामिल हैं। आइये आपको बताते हैं कि इन पार्टियों को कितने वोट मिले और नोटा से कितना कम रहा इनका वोट शेयर।


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लाखों ने दबाया NOTA का बटन


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गुजरात विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने नोटा का जमकर इस्तेमाल किया। EVM में नोटा बटन के जरिये मतदाता यह बता सकते हैं कि चुनाव मैदान में उतरा कोई भी उम्मीदवार उनका प्रतिनिधि बनने लायक नहीं है। यहां नोटा का बटन दबाने वालों की संख्‍या आम आदमी पार्टी, एनसीपी और बीएसपी जैसी पार्टियों को मिले वोट से ज्यादा रही। गुजरात विधानसभा चुनाव में 5,51,615 मतदाताओं ने यह बटन दबाकर अपने इलाके के उम्मीदवारों को खारिज किया।


AAP को मिले कुछ हजार वोट


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2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में नोटा का ऑप्शन नहीं था। इस बार विधानसभा चुनाव में नोटा का वोट शेयर 1.8 पर्सेंट रहा। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, नोटा वोट कुल मतों के 0.8 से 3 प्रतिशत के बीच रह सकता है। गुजरात में आम आदमी पार्टी ने 29 सीटों पर ही प्रत्याशियों को उतारा था, जहां पार्टी को केवल 29,517 वोट हासिल हुए। वहीं, इन 29 सीटों पर 75,880 लोगों ने नोटा का लिकल्प चुना। नोटा का विकल्प चुनने वालों की संख्या आप को मिले वोटों की तुलना में 2.5 फीसदी अधिक रही।


BSP, BTP और NCP को भी NOTA से कम वोट


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आम आदमी पार्टी के अलावा बीएसपी, बीटीपी और एनसीपी को भी नोटा से कम वोट मिले। गुजरात में भाजपा, कांग्रेस और आईएनडी के बाद वोट शेयर के मामले में नोटा चौथे स्‍थान पर रहा। चुनाव आयोग के मुताबिक, गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को 49.1 फीसदी, कांग्रेस को 41.4 फीसदी, आईएनडी को 4.3, बीटीपी को 0.7, बीएसपी को 0.7 और एनसीपी को 0.6 फीसदी वोट मिले। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2013 में नोटा की शुरुआत की गई। इसका विकल्प पहली बार छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और मिजोरम के विधानसभा चुनावों में दिया गया था। पहली बार नोटा का वोट शेयर 1.85 पर्सेंट रहा था…Next



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