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कभी राष्‍ट्रपति का घोड़ा बनना चाहते थे प्रणब मुखर्जी! जानें क्‍यों कहा था ऐसा

देश के पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आज जन्‍मदिन है। 11 दिसंबर 1935 को बंगाल के एक गांव में पैदा हुए मुखर्जी आज 82 वर्ष के हो गए। उन्‍होंने सन् 1969 में बतौर राज्‍यसभा सदस्‍य देश की सियासत में कदम रखा और महामहिम तक का सफर पूरा किया। प्रणब दा ने विभिन्‍न पदों पर रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के साथ काम किया। इतने लंबे सियासी सफर के दौरान उनके साथ कई किस्‍से जुड़े। इन्‍हीं में से एक किस्‍सा हम आपको बता रहे हैं। प्रणब दा रायसीना हिल्‍स की ओर हमेशा आकर्षित रहे, लेकिन उन्‍होंने राष्‍ट्रपति बनने के बारे में नहीं सोचा था। हां, वे राष्‍ट्रपति का घोड़ा जरूर बनना चाहते थे, वो भी अपने अगले ‘जन्‍म’ में। आइये आपको बताते हैं कि क्‍यों प्रणब दा ऐसा सोचते थे।


pranab mukherjee


राष्‍ट्रपति भवन के घोड़ों के ठाट-बाट से थे प्रभावित


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बंगाल के सुदूर गांव में पैदा हुए प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन के घोड़ों के ठाट-बाट से बहुत प्रभावित थे। मजाक में ही सही, लेकिन यह इच्छा उन्होंने अपनी बहन अन्नपूर्णा से व्यक्त की थी। बात सन् 1969-70 की है। तब प्रणब दा पहली बार राज्यसभा सदस्य बने थे। उन्हें सांसद कोटे से साउथ एवेन्यू में फ्लैट मिला था। उनके फ्लैट से रायसीना हिल्स (राष्ट्रपति भवन) का अस्तबल और घोड़े दिखाई देते थे। वहां घोड़ों की खूब खातिरदारी होती थी।


बहन से मजाक में कही थी यह बात


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दोनों को नहीं पता रहा होगा कि यह बात एक दिन सच होगी। प्रणब दा ने सियासत में लंबी पारी खेलते हुए महामहिम का पद संभाला।


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कई बड़े पदों पर रहे


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प्रणब दा पहली बार 1969 में राज्‍यसभा सदस्‍य बने। इसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में भी राज्‍यसभा सदस्‍य बने। पीवी नरसिम्‍हा राव की सरकार में फरवरी 1995 से मई 1996 तक विदेश मंत्री रहे। अक्‍टूबर 2006 से मई 2009 तक मनमोहन सिंह की सरकार में दूसरी बार विदेश मंत्री बने। इससे पहले मनमोहन सिंह की ही सरकार में मई 2004 से अक्‍टूबर 2006 तक रक्षामंत्रालय की कमान संभाली। इंदिरा गांधी की सरकार में 1982 से 1984 तक और मनमोहन सिंह की सरकार में जनवरी 2009 से जुलाई 2012 तक वित्‍त मंत्री रहे। 25 जुलाई 2012 को देश के 13वे राष्‍ट्रपति बने…Next


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