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सोनिया गांधी ने राजनीति में न आने की खाई थी कसम, इस वजह से पॉलिटिक्‍स में रखना पड़ा कदम!

सोनिया गांधी आज देश की सबसे पुरानी पार्टी मानी जाने वाली कांग्रेस की अध्‍यक्ष हैं। सियासत में उनका अपना रसूख है। 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद सत्‍ता में कांग्रेस की वापसी हुई, तब उन्‍हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था। मगर उन्‍होंने डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया। इसके बाद 2009 में भी कांग्रेस ने सोनिया के नेतृत्‍व में लोकसभा चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। आज सियासी गलियारों में सोनिया भले ही कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हों, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वे राजनीति में आना ही नहीं चाहती थीं। बताते हैं कि उन्‍होंने इसकी कसम भी खाई थी। आज सोनिया गांधी का जन्‍मदिन है। आइये इस मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़े इस किस्‍से के बारे में आपको बताते हैं।


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राजीव गांधी की मौत के बाद टूटा मुसीबतों का पहाड़


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सोनिया गांधी का जन्‍म 9 दिसंबर 1946 को इटली देश के लुसियाना में हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से शादी के बाद 1983 में सोनिया को भारत की नागरिकता मिली। तब सोनिया की पहचान राजीव गांधी की पत्‍नी के रूप में रही। 1984 में इंदिरा गांधी की आकस्मिक मौत के बाद राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उस समय राजीव सबसे युवा कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। 21 मई 1991 को राजीव की हत्या कर दी गई। यह वो दौर था, जब सोनिया के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूटा। देश के सबसे मजबूत सियासी परिवार की नींव हिल गई थी।


राजनीति में न आने की खाई कसम


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राजीव गांधी की हत्‍या के बाद एक ओर जहां देश ने बड़ा राजनेता खोया, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने अपना अध्‍यक्ष खो दिया। कांग्रेस के बड़े नेताओं के सामने असमंजस की स्थिति हो गई कि अब पार्टी की कमान किसके हाथ में दी जाए। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी। जानकार बताते हैं कि सोनिया ने कांग्रेस अध्‍यक्ष के पद को स्वीकार नहीं किया। साथ ही उन्‍होंने कभी भी राजनीति में न आने की कसम खाई।


इस तरह शुरू हुई सियासी पारी


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सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्‍यक्ष का पद स्‍वीकार न करने से पार्टी की कमान गांधी-नेहरू परिवार से दूर चली गई। मगर इसके बाद कांग्रेस की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होने लगी। पार्टी को फिर से मजबूत स्थिति में लाने के लिए कांग्रेस के नीति-नियंताओं को सोनिया के अलावा कोई और विकल्‍प नहीं दिखा। अंतत: पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं के दबाव में उन्‍होंने 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की। इस तरह उन्‍होंने सियासत में अपनी पारी शुरू की। इसके बाद सोनिया गांधी 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। सोनिया 1998 से लेकर मौजूदा समय तक कांग्रेस की अध्यक्ष हैं…Next


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