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अमित शाह सीख रहे बंगाली, तमिल समेत 4 भाषाएं, जानें बीजेपी के ‘चाणक्‍य’ क्‍यों कर रहे ऐसा

अमित शाह की चुनावी रणनीति के सभी कायल हैं। उन्‍हें बीजेपी का ‘चाणक्‍य’ कहा जाता है। किसी भी चुनाव में शाह कब और कौन सी ऐसी रणनीति बना देंगे कि चुनाव उनके पाले में आ जाए, यह शायद ही कोई जानता हो। कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर इसे लेकर एक जोक भी चल रहा था कि ‘दुनिया में कहीं भी सरकार बनानी हो, तो अमित शाह से संपर्क करें’। चुनावों में जीत दिलाने वाली शाह की रणनीति के पीछे उनकी कड़ी मेहनत होती है। इसी के तहत भाजपा अध्‍यक्ष इन दिनों बंगाली और तमिल समेत देश के अलग-अलग प्रदेशों में बोली जाने वाली चार भाषाएं सीख रहे हैं। आइये आपको बताते हैं कि क्‍यों और कैसे ये भाषाएं सीख रहे हैं अमित शाह।


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धाराप्रवाह बात करने का कर रहे अभ्‍यास


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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भाजपा का परचम लहराने के मकसद से अमित शाह इन दिनों तमिल और बंगाली भाषा सीख रहे हैं। बताया जा रहा है कि इन दोनों राज्यों में पार्टी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए शाह स्थानीय भाषा सीखना चाहते हैं, जिससे संवाद में कोई कमी न रहे और अपनापन सा लगे। खबरों की मानें, तो पार्टी सूत्रों का कहना है कि अमित शाह इन दिनों पेशेवर भाषाविदों से बंगाली और तमिल सीख रहे हैं। इतना ही नहीं करीब एक साल में अमित शाह बंगाली और तमिल इतना सीख चुके हैं कि इन भाषाओं में अच्‍छी तरह बात कर सकते हैं। अब वे इन भाषाओं में धाराप्रवाह बात करने का अभ्यास कर रहे हैं।


मणिपुरी और असमिया भी सीख रहे


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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शाह से जुड़े एक करीबी सूत्र ने कहा कि पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए अमित भाई ने बंगाली और तमिल की औपचारिक शिक्षा लेनी शुरू की है। वे इन दोनों राज्यों में लोगों तक सीधे पहुंच बनाने के लिए तमिल और बंगाली का अभ्यास कर रहे हैं, ताकि वहां भी सरकार बनाई जा सके। अगले महीने गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव प्रचार के बिजी शेड्यूल में से समय निकालकर वे मणिपुरी और असमिया भी सीख रहे हैं।


गुजरात से बाहर रहने के दौरान सीखी हिंदी


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कई लोग आश्चर्य करते हैं कि वर्षों गुजरात में बिताने के बावजदू अमित शाह कैसे अच्छी हिंदी बोल लेते हैं। खबरों की मानें, तो इस पर सूत्रों का कहना है कि जेल में रहने के दौरान और कोर्ट द्वारा गुजरात में एंट्री पर दो साल की रोक के समय अमित शाह ने हिंदी पर पकड़ बनाई थी। बीजेपी का अध्यक्ष बनने से पहले उन्‍होंने देश भर का दौरा किया और प्रमुख तीर्थस्थानों पर गए। इससे उन्हें देश के तमाम हिस्सों के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक पहलुओं को समझने में मदद मिली। बताया जाता है कि अमित शाह के इसी रिसर्च का परिणाम था कि वे गुजरात से निकलकर उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में चुनावी अभियान को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा सके। बहुत कम लोगों को पता होगा कि बहुभाषी होने के साथ ही अमित शाह ने शास्त्रीय संगीत की भी दीक्षा ली है। खुद को रिलैक्स करने के लिए शाह शास्त्रीय संगीत और योग का सहारा लेते हैं…Next


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