गुजरात में चुनाव का बिगुल बज चुका है, कांग्रेस और बीजेपी अपनी पूरी ताकत लगा रही है चुनाव प्रचार के लिए। गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने की बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पूरी कोशिश कर रही हैं। ऐसे में गुजरात में एक विधानसभा सीट ऐसी भी है जहां पर जो भी जीतता है सूबे में सरकार भी उसकी ही बनती है। तो चलिए जानते हैं आखिर क्या बात है उस सीट की।
वलसाड लोकसभा है लकी सीट
गुजरात की राजनीति में ऐसा माना जात है कि जिस पार्टी के भी उम्मीदवार ने भी सूरत के दक्षिण में अरब सागर के तट पर बसा वलसाड लोकसभा सीट पर कब्जा जमा लिया जीत उसी की लगभग तय होती है। आजादी के बाद से ही ये सिलसिला चलता आया है, हर चुनाव में ये सामने भी दिखता है।
बेहद खास रहा है इस सीट का रिकॉर्ड
वलसाड विधानसभा क्षेत्र का भी कुछ इसी तरह का रिकॉर्ड रहा है। वलसाड की विधानसभा सीट जीतने वालों की लिस्ट पर नजर डालने से पता चलता है कि, ये विधानसभा सीट गुजरात की अगुवा सीट है जो वलसाड सीट जीतता है गुजरात भी वही जीतता है। 1975 में केशवभाई रतनजी पटेल जो राष्ट्रीय कांग्रेस संगठन के उम्मीदवार थे उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की थी। उसी साल राष्ट्रीय कांग्रेस संगठन और जनसंघ के गठबंधन ने कांग्रेस को सत्ता से हटाकर राज्य में भी जीत हासिल की थी।
सालों से बीजेपी कर रही है राज
1980 में दोलतराय देसाई ने ये सीट जीती और उनकी पार्टी कांग्रेस ने सत्ता में फिर से वापसी की। 1985 में देसाई स्वतंत्र रूप से लड़े और कांग्रेस के बारजोरजी परदीवाला से हार गए। इसके साथ ही कांग्रेस ने राज्य में एक और जीत हासिल की। देसाई ने 1990 में वलसाड में फिर से वापसी की लेकिन इस समय वो बीजेपी के उम्मीदवार थे। इसके साथ ही बीजेपी-जनता दल गठबंधन ने राज्य में भी जीत हासिल की।
मुख्यमंत्री बने केशुभाई पटेल
देसाई दोबारा 1995 में भी जीते और केशुभाई पटेल गुजरात के पहले बीजेपी मुख्यमंत्री बने। देसाई 1998, 2002 और 2007 में भी जीते और राज्य में बीजेपी भी जीती। 2012 में उनकी सीट बीजेपी नेता भरतभाई पटेल के पास आ गई और बीजेपी फिर से गुजरात की सत्ता पर काबिज हुई।…Next
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