‘कार्टून में विचार होता है. सेंस ऑफ ह्यूमर होता है. मूर्खताएं होती हैं और विरोधाभास होते हैं. यही बात जिंदगी पर भी लागू होती है’
लोग विरोध जताने के लिए कई तरीके अपनाते हैं. बोलकर, चुप रहकर, भूखे रहकर, लिखकर. लेकिन एक ऐसा कॉमनमैन, जो अपने कार्टून से ऐसी-ऐसी बातें कह जाता था, जिससे सरकार हिल जाती थी. उन्हें जो कहना होता था, बस कह देते थे. सच्चाई के आगे कोई रिश्ते-नाते नहीं आ सकते थे.
आरके लक्ष्मण, बचपन में जिनका नाम रखा गया था रासीपुरम कृष्णा स्वामी लक्ष्मण. कार्टून बनाने का शौक उन्हें बचपन से ही था. ऐसा शौक जिसके लिए रंगीन पेपर, रंग वगैरह की जरूरत नहीं पड़ती थी. एक पेंसिल और दीवार, जिसपर वो घंटों कार्टून बनाया करते थे. बचपन में स्वभाव से चुलबुले लक्ष्मण की प्रतिभा को उनके पिता बढ़ावा देते थे. आज उसी ‘कॉमनमैन’ आरके लक्ष्मण का जन्मदिन है. आइए, जानते हैं लक्ष्मण की दुनिया से जुड़े दिलचस्प किस्से.
जिस कॉलेज ने एडमिशन नहीं दिया, उसी ने बाद में स्पीच के लिए बुलाया
मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में एडमिशन के लिए लक्ष्मण ने आवेदन किया. लेकिन वहां के डीन ने दाखिला देने से मना कर दिया. वजह पूछने पर बताई गई, उनमें स्किल की कमी है. लक्ष्मण वजह जानकर मुस्कुरा दिए. वक्त को ऐसे ही बलवान नहीं कहा जाता. इस घटना के करीब 10-15 साल बाद जेजे स्कूल ने खुद उन्हें वहां स्पीच देने के लिए बुलाया. वहां उन्होंने अपनी स्पीच में ये बात बता दी कि इसी स्कूल ने मुझे दाखिला देने से मना कर दिया था.
उस दौरान वहां बैठे सभी लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गई और जेजे आर्ट वाले खिसियाई नजरों से लक्ष्मण को देख रहे थे.
न ठाकरे की परवाह, न इंदिरा का डर
लक्ष्मण ने शुरूआत में कई अखबारों में पॉलिटिकल कार्टून बनाने शुरू किए लेकिन उन्हें कहीं स्थायी नौकरी नहीं मिली. उन्होंने मद्रास के जेमिनी रोहन स्टूडियोज में काम किया. वहां फिल्म ‘नारद’ के लिए पोस्टर बनाए. इसके बाद हड़ताल के दौरान भी लक्ष्मण किसी तरह अखबारों को अपने कार्टून भेजते ही रहते थे. एक दिन उन्हें ‘स्वराज’ पत्रिका से बुलावा आया और उन्हें 50 रुपए महीना की नौकरी पर रख लिया गया, लेकिन यहां भी लक्ष्मण ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाए. इसके बाद लक्ष्मण मुंबई रवाना हो गए. वहां जाकर उन्होंने फ्री प्रेस जर्नल में नौकरी की, लेकिन जल्द ही उन्हें यहां से भी नौकरी छोड़नी पड़ी. वजह थी संपादक अपनी विचारधारा के अनुसार उनसे कार्टून बनाने को कहता था.
फ्री प्रेस जर्नल में एक और कार्टूनिस्ट थे, नाम था बाल ठाकरे. जो लक्ष्मण के दोस्त बन गए. ये वही बाल ठाकरे थे, जो आगे चलकर राजनीति का एक बड़ा नाम बने. लक्ष्मण ने उनकी नीतियों, भाषण के खिलाफ भी जमकर कार्टून बनाए. वहीं इंदिरा सरकार में आपातकाल के दौरान उन्होंने व्यवस्था पर तीखे व्यंग्य करते हुए कार्टून बनाए. एक बार उनकी मुलाकात इंदिरा से हुई, तो उन्होंने उनके मुंह पर बिना डर के कहा ‘आप गलत कर रही हैं’.
टाइम्स ऑफ इंडिया से रहा 50 साल का नाता
यहां उनसे एक स्कैच बनवाकर देखा गया और उन्हें नौकरी पर रख लिया गया. यहां लक्ष्मण ने 50 साल से ज्यादा काम किया. इन सालों में सरकारें, व्यवस्था बदलती रही, लेकिन आरके का कॉमनमैन सबके साथ फेयर रहा है और हर व्यवस्था, सरकार पर चोट करता रहा रहा.
26 जनवरी 2015 को 93 साल की उम्र में आरके लक्ष्मण दुनिया को अलविदा कह गए…Next
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