देश में इन दिनों वंशवाद को लेकर बहस तेज है। आजादी के बाद से ही राजनीति में वंशवाद हावी रहा है। केंद्र की राजनीति हो या प्रदेश की, हर जगह वंशवाद देखने को मिलता है। देश में कई ऐसे बड़े परिवार हैं, जिसके ज्यादातर सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं। कुछ क्षेत्रीय पार्टियों की स्थिति तो ऐसी है, जो राजनीतिक पार्टी की बजाय एक परिवार की पार्टी लगती हैं। आइये आपको बताते हैं देश के बड़े राजनीतिक परिवारों के बारे में। इन परिवारों के उन्हीं सदस्यों को यहां शामिल किया है, जो केंद्र या प्रदेश की राजनीति में हैं या फिर थे। इनमें से कुछ परिवारों के अन्य सदस्य और रिश्तेदार जिला या फिर ब्लॉक स्तर की राजनीति में भी हैं। मगर हमने उन्हें शामिल नहीं किया है।
गांधी-नेहरू परिवार
देश के बड़े राजनीतिक परिवारों में से एक है, गांधी-नेहरू परिवार। वैसे तो इस परिवार में कई सदस्य हैं, लेकिन हम बात करते हैं सिर्फ उनकी जो राजनीति में सक्रिय हैं या रहे। शुरुआत करते हैं जवाहरलाल नेहरू से। देश के पहले प्रधानमंत्री जवारलाल नेहरू। उनके बाद इनकी बेटी इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनीं। इनकी अगली पीढ़ी में इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहे। इंदिरा के दूसरे पुत्र संजय भी राजनीति में थे, लेकिन उनकी असामयिक मृत्यु हो गई थी। इसके बाद राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी की बगाडोर संभाली और फिलहाल वे कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष हैं। उनके पुत्र राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष और अमेठी से लोकसभा सांसद हैं। संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और वरुण गांधी भाजपा में हैं। मेनका मोदी सरकार में मंत्री हैं और वरुण सुल्तानपुर से लोकसभा सांसद हैं। इनके अलावा इस परिवार के कुछ अन्य सदस्य कांग्रेस पार्टी में विभिन्न पदों पर रहे हैं।
यादव परिवार
मुलायम सिंह यादव का परिवार देश का सबसे बड़ा राजनीति परिवार माना जाता है। इस परिवार के सिर्फ सदस्य ही नहीं, कुछ रिश्तेदार भी राजनीति में सक्रिय हैं। मुलायम सिंह यादव फिलहाल आजमगढ़ से लोकसभा सांसद हैं। उनके पुत्र अखिलेश यादव यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से सांसद हैं। मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक की पत्नी अपर्णा ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। मुलायम के भाई रतन सिंह के बेटे रनवीर सिंह ब्लॉक प्रमुख थे, जिन्होंने सैफई फेस्टिवल शुरू किया। रनवीर सिंह के बेटे तेजप्रताप सिंह यादव मैनपुरी से सांसद हैं। मुलायम के दूसरे भाई अभय राम के बेट धर्मेंद्र यादव बदायूं से सांसद हैं। मुलायम के भाई शिवपाल यादव यूपी की राजनीति में बड़ा नाम हैं। फिलहाल शिवपाल इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं। मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव राज्यसभा सदस्य हैं। रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव फिरोजाबाद से सांसद हैं। मुलायम के परिवार के कई अन्य सदस्य ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत समेत विभिन्न राजनीतिक पदों पर हैं।
सिंधिया परिवार
सिंधिया परिवार यानी ग्वालियर राजघराना। इस परिवार के पॉलिटकल कॅरियर की शुरुआत हुई 1962 में। सन् 1962 में महाराजा जीवाजीराव सिंधिया की पत्नी राजमाता विजयराजे सिंधिया लोकसभा सांसद बनीं। इनके पुत्र माधवराव सिंधिया लोकसभा सांसद और केंद्र में मंत्री रहे। अगली पीढ़ी में माधवराव के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजनीतिक विरासत संभाली। ज्योतिरादित्य कांग्रेस पार्टी से लोकसभा सांसद हैं। वहीं, दूसरी ओर विजयराजे की बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया लंबे समय से राजनीति में हैं और फिलहाल राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं। विजयराजे की दूसरी बेटी यशोधरा राजे सिंधिया भी विधायक और सांसद रह चुकी हैं। वसुंधरा की अगली पीढ़ी यानी उनके पुत्र दुष्यंत सिंह भी लोकसभा सांसद हैं।
करुणानिधि परिवार
दक्षिण भारत की राजनीति में करुणानिधि का परिवार बड़ा राजनीति परिवार है। करुणानिधि तमिलनाडु के पूर्व मख्यमंत्री हैं। करुणानिधि के पुत्र एमके स्टालिन तमिलनाडु के पूर्व उपमुख्यमंत्री हैं। करुणानिधि के दूसरे बेटे एमके अलागिरी मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। करुणानिधि की बेटी कनिमोझी राज्यसभा सांसद हैं। करुणानिधि के भांजे मुरुसोली मारन भी केंद्रीय मंत्री थे। मुरुसोली के पुत्र दयानिधि मारन भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं।
अब्दुल्ला परिवार
जम्मू-कश्मीर का अब्दुल्ला परिवार भी देश के बड़े राजनीतिक घरानों में से एक है। इस परिवार के मुखिया शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। उनकी पत्नी बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला सांसद रहीं। शेख अब्दुल्ला के बेटे मुस्तफा कमाल एमएलए रहे। शेख अब्दुल्ला के बेटे फारुक अब्दुल्ला जम्मू–कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अगली पीढ़ी में फारुक के बेटे उमर अब्दुल्ला जम्मू–कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
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