पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह आज (मंगलवार) 85 वर्ष के हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। जाने-माने अर्थशास्त्री और लगातार दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पंजाब प्रांत के गाह में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। 90 के दशक में भारत में आर्थिक सुधारों को लागू करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। मनमोहन सिंह की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है, जिसे पूरी दुनिया जानती है। दुनिया के चुनिंदा अर्थशास्त्रियों में इनका नाम गिना जाता है। कोयला घोटाले और 2जी घोटाले को लेकर वे विवादों में भी आए और अक्सर साइलेंट पीएम के तौर पर उनकी आलोचना की जाती रही। आइये जानते हैं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें, जो शायद आप न जानते हों…
कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित
डॉक्टर मनमोहन सिंह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री हैं। वे भारत के 13वें प्रधानमंत्री रहे। उन्हें 1987 में देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण मिल चुका है। इसके अलावा सिंह को जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवॉर्ड ऑफ द इंडियन साइंस कांग्रेस (1995), वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवॉर्ड (1993 और 1994), वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवॉर्ड (1993), कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का एडम स्मिथ पुरस्कार (1956) और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट कार्य निष्पादन के लिए राइट्स प्राइज (1955) समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी सहित कई विश्वविद्यालयों की ओर से मानद उपाधियां भी दी गई हैं।
पंजाब के बाद ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज से पढ़ाई
मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र विषय में 1952 में ग्रेजुएशन और 1954 में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पीएचडी करने के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय गए, जहां उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राइट्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नुफिल्ड कॉलेज से डी. फिल की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। वे पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में लेक्चरर के पद पर नियुक्त होने के बाद जल्द ही प्रोफेसर के पद पर पहुंच गए। उन्होंने दो वर्ष तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी अध्यापन कार्य किया।
RBI के गवर्नर से लेकर PM पद तक का सफर
दूसरी बार भी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद के लिए उन्हीं पर भरोसा जताया। 2009 के लोकसभा चुनावों में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए, जिन्हें पांच वर्षों का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला। बतौर प्रधानमंत्री उनका दूसरा कार्यकाल 2014 में पूरा हुआ। यह सम्मान सबसे शक्तिशाली पीएम मानी जाने वाली इंदिरा गांधी के खाते में भी नहीं है।
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