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संसद की कार्यवाही 1 मिनट रोकने पर देश को होता है 2.6 लाख का नुकसान, जानें रोचक बातें

‘तुम पढ़ाई में बहुत तेज हो, तुम तो कुछ भी बन सकते हो. डॉक्टर, इंजीनियर.

‘…पर तुम तो पढ़ाई में बिल्कुल जीरो हो तुम क्या बनोगे?

मैं नेता बनूगां. उसके लिए मैंने प्रैक्टिस भी शुरू कर दी है. रोजाना घर भर में कुर्सी उठाकर गिराता हूं और चिल्लाता हूं’. संसद वाले नाटक में भी तो यही दिखाते हैं.


jammu and kashmir assembly


10 साल के दो बच्चों की ऊपर लिखी बातें पढ़कर उनकी मानसिक स्थिति के साथ देश की संसद के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है. आपने भी टीवी पर अक्सर संसद में विपक्ष का हंगामा देखा होगा. जिसकी वजह से घंटों और कभी-कभी तो पूरे दिन के लिए संसद स्थगित कर दी जाती है.


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कुछ वक्त पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें संसद की कार्यवाही दिखाई गई थी. मैसेज के तौर पर बनाए गए इस वीडियो में जैसे ही सत्ताधारी पार्टी का एक नेता नया बिल पास करवाने के लिए बोलना शुरू करता है. विपक्षी दल एक साथ खड़े होकर बिना सुने ही उसका विरोध करना शुरू कर देते हैं. काफी देर हंगामे के बाद आखिरकार संसद की कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है. जिसके बाद अंतर्मन को झकझोर देने वाली एक लाइन आती है ‘देश का युवा आपको देख रहा है, अपनी हरकतों से बाज आएं’ (The youth is watching you. Just behave yourself).



modi



अगर आप सोचते हैं कि एक दिन की संसद की कार्यवाही रोक देने से क्या होता है तो चलिए, हम आपको बताते हैं एक सच्चाई.

संसद सत्र के एक मिनट की कार्यवाही का खर्च लगभग 2.6 लाख रुपये का आता है. वर्ष 2014 के बाद सबसे कम काम इसी शीतकालीन सत्र में हुआ है. इस सत्र में सांसदों ने लगभग 92 घंटे के काम में व्यवधान डाला है, जिसके कुल खर्च का अनुमान लगाया जाये तो वो 144 करोड़ रुपयों का होगा. सबसे हैरानी की बात ये है कि पिछले कई सालों की तुलना में इस साल संसद की कार्यवाही सबसे ज्यादा बार स्थगित हुई है. हर सत्र में लगभग 18 या 20 दिन संसद की कार्यवाही चलती है. राज्यसभा में हर दिन पांच घंटे का और लोकसभा में छह घंटे का काम होता है.


kejriwal



इसके अलावा 2016 के आंकड़ों की बात करें तो…

पहले सत्र में हंगामे की वजह से 16 मिनट बर्बाद हुए जिसकी वजह से 40 लाख का नुकसान हुआ, दूसरे सत्र में 13 घंटे 51 में 20 करोड़ 7 लाख का नुकसान, तीसरे सत्र में 3 घंटे, 28 मिनट कार्यवाही ठप्प में 5 करोड़ 20 लाख का नुकसान हुआ. चौथे सत्र में 7 घंटे, 4 मिनट की बर्बादी में 10 करोड़ 60 लाख रुपये का नुकसान, पांचवें सत्र में 119 घंटे बर्बाद यानि 178 करोड़ 50 लाख का नुकसान हुआ.



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कई मौकों पर स्पीकर भी हो जाते हैं शर्मिदा

टीवी पर हंगामा देखकर आप बेशक चैनल बदल देते हैं, लेकिन संसद में बैठे स्पीकर के पास कोई विकल्प नहीं बचता. कई बार तो दूसरे देशों के प्रतिनिधियों के सामने ही सांसद अभद्र भाषा से लेकर कुर्सियों की उठा-पटक शुरू कर देते हैं, जिससे स्पीकर को हार मानकर कार्यवाही स्थगित करनी पड़ती है.



जरा सोचिए, देश के अतिरिक्त व्यय में कटौती करके जिस तरह उम्मीदों का बजट पेश किया जाता है, वही सांसद देश के पैसों को अपनी हरकतों से कैसे पानी की तरह बहा रहे हैं…Next


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