Menu
blogid : 321 postid : 1130088

गोबर के गंध से ‘युधिष्ठिर’ को बचाने के लिये तैनात किये गये दर्जन भर से अधिक पुलिसवाले

गाय और गोबर का जितना सम्बन्ध आपसी है उससे कम भारतीय जनता पार्टी से नहीं है. इसका आभास गाय को भी नहीं होगा कि कब वो गाँव के घरों से निकल प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आयी. राजनीति में घसीटे जाने के इस क्रम में गाय का कद जरूर बढ़ा लेकिन, इसका एहसास न होने के कारण गाय ने अपने ही पैरोकारों को बिहार में जुगाली पर मज़बूर कर दिया.


gajendra chauhan


गाय के आशीर्वाद के आकांक्षी लोगों के लिये कल का दिन ज़ोखिम भरा था. जिस गाय को धुरी बनाकर राजनीति की जाती रही हो उसी गाय के गोबर का खौफ़ कल पुणे में देखा गया. एक ऐसा खौफ़ जिससे जितने विचलित ‘युधिष्ठिर’ रहे होंगे, उससे कम दर्जन भर से ज्यादा पुलिसवाले भी नहीं थे. एफटीआईआई के आस-पास इस खौफ़ का असर देखा गया. शांत दिखने वाली गाय के गोबर का खौफ़ एक प्रशिक्षण संस्थान के आस-पास देखा जाना निश्चित रूप से गाँव में गोबर से आँगन लीपने वालों के लिये आश्चर्य भरा रहा होगा.


Read: वीएचपी के कार्यकर्ता ने गाय को मारी लात- तस्वीर पर आया स्पष्टीकरण


भला गोबर से भी लोग खौफ़ खाते रहे, वो भी महाभारत के “युधिष्ठिर”! गाय के लिये भी यह क्षण यकीनन पीड़ादायी रही होगी. इस खौफ़ से पार पाने के लिये युधिष्ठिर-नियुक्ति विरोधी लोगों को पहले से समझाया गया कि विरोध करने से बाज आएँ. ऐसा न करने पर उनके विरूद्ध आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई करने की सूचना दी गयी. एफटीआईआई परिसर में गोबर लाने पर पाबंदी लगा दी गयी. ‘युधिष्ठिर’ पहली बार सफलतापूर्वक यहाँ आये और बैठक की.


police with lathi
साभार: एफटीआईआई विज़डम ट्री


ब्लॉगर पहले भी मानता रहा कि महाभारत में काम करने का मौक़ा उन्हें यूँ ही नहीं मिला. किसी सिनेमा, धारावाहिक में काम कर लेना एक बात होती है, वास्तविक जीवन में उन्हीं स्थितियों को पैदा कर सफल होना दूसरी. इस लिहाज से टीवी के ‘युधिष्ठिर’ की काबिलियत पर संदेह करना वास्तविकता से आँखे चुराना है.


pune police
साभार: एफटीआईआई विज़डम ट्री


स्कूल में गणतंत्र दिवस के दौरान आये मुख्य अतिथि विद्यार्थियों के नेतृ्त्व में बदलाव की उम्मीद करते थे. ठीक उसी तरह अभी भी गायों से उम्मीदें हैं. कहते हैं, उम्मीद पर दुनिया कायम हैं. गौ-माता का आशीर्वाद शायद आगे काम आ जाये! जीत की कल्पना का हक़ सबको है, होना भी चाहिये. इस पर कोई किसी को डिक्टेट नहीं कर सकता.Next….


Read more:

अपने घर में 100 से भी अधिक साँप के साथ रहते हैं ये दो भाई, हमले के बाद भी है इन्हें गहरा लगाव

बिछिया और महिलाओं के गर्भाशय का क्या है संबंध

क्यों नहीं खिलायी जाती है कुत्तों को चॉकलेट- जानें ऐसी ही कुछ रोचक बातें



Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh