दिल्ली में चुनाव की तारीख़ तय है. सभी राजनीतिक पार्टियाँ जोर-शोर से चुनाव प्रचार में लगी है. एक-दूसरे की पार्टियों और प्रतिद्वंदी नेताओं पर छींटाकशी का दौर चरम पर है. कोई किसी का गोत्र बता रहा है तो कोई किसी को महँगाई बढ़ाने का कारण! प्रिंट मीडिया से एलैक्ट्रॉनिक मीडिया तक राजनैतिक पार्टियों के विज्ञापनों, साक्षात्कारों से भरे पड़े है. ऑनलाइन मीडिया भी इस होड़ में पीछे नहीं है.
दिल्ली में भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी है. किरण बेदी की छवि एक ईमानदार और सख्त पुलिस अधिकारी के तौर पर गढ़ी गई है. किरण बेदी निश्चित रूप से वो पुलिस अधिकारी है जिन्होंने पुरूष प्रधान इस समाज में महिलाओं को एक मुखर आवाज प्रदान की है. कई युवतियों ने उन्हें देखकर पुलिस में भर्ती होने का फैसला लिया होगा. लोग उन्हें भारतीय पुलिस सेवा की पहली महिला अधिकारी मानते हैं.
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लेकिन एक वेबसाइट और ऑनलाइन माध्यम में प्रकाश में आई कुछ सुर्खियों की मानें तो किरण बेदी पहली महिला आईपीएस अधिकारी नहीं थी. एक समाचार पत्र की कतरन में 14 जून 1957 में छपी ख़बर के मुताबिक पंजाब कैडर की सुरजीत कौर स्वतंत्र भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी थी.
इस ख़बर में यह आसानी से पढ़ी जा सकती है कि सुरजीत कौर आईपीएस अधिकारी वेद मारवाह की समकक्ष थी. एक दर्दनाक हादसे में हुई मौत पर सुर्खियों में आने वाली सुरजीत कौर के बारे में इस कतरन में किये गये दावे अगर सच है तो किरण बेदी से पहली भारतीय महिला आईपीएस अधिकारी होने का तमगा छिन सकता है!
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इतना ही नहीं इस ख़बर के सच होने की दशा में आम लोग आईपीएस संघ और सरकारों से भी सवाल करेंगे कि कैसे और क्यों किरण बेदी के पहली भारतीय महिला पुलिस अधिकारी होने की बात का उन्होंने खंडन नहीं किया! Next…..
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