हाल फिलहाल के सर्वे बता रहे हैं कि आज जिस तरह की लहर भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को लेकर है, उस तरह की लहर ढाई दशक पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी या उससे पहले इंदिरा गांधी को लेकर थी. तब के चुनाव परिणाम इस बात को प्रमाणित करते हैं.
आज नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों का झुकाव इस बात को साबित करता है कि भविष्य के इस संभावित प्रधानमंत्री को लेकर लोगों की ढेर सारी उम्मीदें हैं. उम्मीद के दिए लेकर एक तरफ चाय वाले और पान वाले हैं तो दूसरी तरफ प्लेन या चार्टर्ड प्लेन में सफर करने वाले व्यापारी और कारोबारी भी हैं. यही नहीं इस दिए को लेकर वह सदाचारी व्यक्ति भी उम्मीद लगाए बैठा है जिसे लगता है कि मोदी के आने से उसे साफ-सुथरा स्वच्छ प्रशासन देखने को मिलेगा.
वहीं दूसरी तरफ उम्मीद लगाकर बैठने वालों में वह दुराचारी और भ्रष्टाचारी भी हैं जो यह समझते हैं कि यूपीए सरकार की वजह से पिछले 10 सालों से जो सूखा उनकी जिंदगी में आया है उसकी मोदी के आ जाने से भरपाई हो सकती है.
Read: इंग्लैंड क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम में जीत का फार्मूला
वैसे एक वर्ग और भी है जो बड़ी ही बेसब्री से मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखने के लिए आंखें गड़ाए हुआ है. यह वही युवा वर्ग है जिसकी बदौलत मोदी अपने सपनों में पंख लगाकर आकाश में उड़ सकते हैं. आज यही वर्ग जो बड़ी ही सिद्दत के साथ मोदी को भविष्य का प्रधानमंत्री बनाने में लगा हुआ है. शायद उसे लग रहा होगा कि भाजपा के इस खेवनहार के आ जाने से वह नॉन-इंप्लायमेंट से इंप्लायमेंट की श्रेणी के आ सकता है. दूसरे भ्रष्टाचार और कमजोर देश होने का जो कलंक पवित्र भारत देश के माथे पर लगा हुआ है वह इनके आ जाने से दूर हो सकता है. मोदी को अपना भविष्य मानने वाले इन युवाओं में एक वर्ग ऐसा भी है जो मोदी के व्यक्तित्व को राष्ट्र विरोधी मानता है. मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग आज भी मोदी को अपना दुश्मन मानता है वह नहीं चाहते कि मोदी देश के पालनहार बनें.
अब देखना यह है कि मुठ्ठीभर लेकिन अहम माने जाने वाले इन मतदाताओं की नाउम्मीद रहे मोदी करोड़ो लोगों की उम्मीद की पोटली कब तक अपने कंधे पर लटकाए रखते हैं.
Read more:
Read Comments