विवादों में रहने वाले वित्त मंत्री
पिछले साल प्रणव मुखर्जी को जब देश का 13वां राष्ट्रपति बनाया गया उस समय यह महसूस किया गया था कि अब कांग्रेस में ऐसे कम ही नेता रह गए हैं जो साफ छवि के हैं. यूपीए की सरकार में लगभग सभी कांग्रेसी मंत्रियों पर कोई न कोई आरोप लगे हैं. ऐसे ही एक मंत्री हैं कांग्रेस के भरोसेमंद नेता पी चिंदबरम. वर्तमान में यह वित्त मंत्री के कार्यभार को संभाल रहे हैं.
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की कैबिनेट में केन्द्रीय वित्त मंत्री के पद पर कार्यरत, पी. चिदंबरम का जन्म 16 सितंबर, 1945 को तमिलनाडु के छोटे से गांव कनाडुकथन के एक शाही परिवार में हुआ था. इनका वास्तविक नाम पलानीअप्पन चिदंबरम है. आरंभिक शिक्षा मद्रास क्रिश्चियन सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई से पूरी करने के बाद पी. चिदंबरम ने प्रेसिडेंसी कॉलेज, चेन्नई से विज्ञान में सांख्यिकी विषय के साथ स्नातक की डिग्री प्राप्त की. आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, बोस्टन में दाखिला लिया. यहां से पी. चिदंबरम ने व्यवसाय प्रबंधन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की. पी. चिदंबरम ने अपने कॅरियर की शुरुआत चेन्नई उच्च न्यायालय में वकालत से की. वर्ष 1984 में वह वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित हुए. दिल्ली और चेन्नई के उच्च न्यायालयों में पी. चिदंबरम के चैंबर भी हैं.
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विवादों में रहने वाले चिंदबरम
- वर्ष 1985 में राजीव गांधी सरकार के अंतर्गत चाय के दामों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए श्रीलंका सरकार ने पी. चिदंबरम की कड़ी आलोचना की. श्रीलंका सरकार का कहना था कि भारत में चाय की कीमतों को निर्धारित कर पी. चिदंबरम ने श्रीलंका के चाय व्यापार को समाप्त कर दिया है.
- वित्तमंत्री के कार्यकाल के दौरान पी. चिदंबरम पर संसद में हिंदी भाषी सांसद और हिंदुओं के खिलाफ टिप्पणी करने जैसे कई आरोप लगे.
- पी. चिदंबरम पर यह भी आरोप लगा कि वह राजीव गांधी ट्रस्ट के निदेशकों में से एक हैं. 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे अबुल कलाम द्वारा चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पी. चिदंबरम के लाभ के पदों की जांच करने की इजाजत प्रदान की गई.
- गृह मंत्री के पद पर रहते हुए भी पी. चिदंबरम को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. पी. चिदंबरम ने यह आश्वासन दिया था कि वह देश में माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाएंगे. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. दंतेवाड़ा में माओवादियों द्वारा 6 सीआरपीएफ जवानों की हत्या, 28 मई 2010 का ट्रेन हाइजैक, जिसमें कई सौ निर्दोष लोगों की जान चली गई, जैसे माओवादी हमले उनके वायदों और आश्वासनों को बेबुनियाद साबित कर देते हैं.
- गृहमंत्रालय की चूक और अनदेखी के कारण 2011 में हुए मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद भी पी. चिदंबरम और उनके मंत्री समूह की बहुत किरकिरी हुई.
- उनपर आरोप लगे कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम और पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने 2जी लाइसेंस के आवंटन में अनियमितताएं बरतीं थी. इसको लेकर संसद और संसद के बाहर काफी विवाद भी हुआ. आज भी यह मुद्दा संसद में उठाया जाता है.
- पिछले साल सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने अपने पद का फायदा उठाते हुए अपने बेटे को आर्थिक लाभ पहुंचाया. वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने एयरसेल-मैक्सिस करार के लिए इजाजत देने में देर लगाई. इस आधार पर स्वामी ने चिदंबरम से इस्तीफा मांगा था.
- कहा जाता है कि प्रणव मुखर्जी के बाद जब से चितंबरम ने वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला है मंहगाई ने अपनी सारी हदे पार कर दी है. बेकाबू होती मंहगाई और रुपए की गिरती कीमत को देखकर ऐसा लगता है जैसे सरकार के साथ-साथ वित्त मंत्री ने भी हाथ खड़े कर लिए हैं.
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