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लूट का एक और जरिया बनेगा खाद्य सुरक्षा विधेयक!!

food billमंगलवार को भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा संसद न चलने देने और कांग्रेस की महत्वकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक पास होने के बदले कानून मंत्री और रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग के जवाब में मंगलवार को देर रात कंग्रेस की कोर कमिटी ने व्हिप जारी कर अपनी पार्टी के सदस्यों को बुधवार को संसद में मतदान के लिए मौजूद रहने को कहा है. माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से मंगलवार को मिलने के बाद विपक्ष द्वारा खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित न होने देने के रवैये को भांप लिया है. गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा विधेयक कांग्रेस और सोनिया गांधी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में एक है. वर्तमान बजट सत्र खत्म होने से पहले कांग्रेस इसे हर हाल में पारित करवाना चाहती है. इस संबंध में विपक्ष का सहयोग पाने के लिए मना लेने की उम्मीद से कल संसद की कार्रवाई के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज से मिलने गईं जहां लाल कृष्ण आडवाणी भी पहले से मौजूद थे. माना जा रहा है कि इस मुलाकात में सोनिया गांधी नेता प्रतिपक्ष को खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित करने में सहयोग के लिए मनाने में सफल नहीं रहीं. अत: जैसा कि पिछले दिनों संसद में सोनिया गांधी ने खुद कहा था कि विधेयक तो पास करवाकर रहेंगे, उन्होंने विपक्ष को नकारते हुए व्हिप जारी करने का फैसला किया. 3 पंक्तियों की इस व्हिप के अनुसार आज (8 मई) को कांग्रेस के सभी सदस्य और सांसदों को इस विधेयक पर मतदान के लिए संसद में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना है.


क्यों इतना जरूरी है खाद्य सुरक्षा बिल कांग्रेस के लिए

खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत गरीबी रेखा से नीचे (प्राथमिक या बीपीएल श्रेणी के प्ररिवार) और सामान्य परिवार (गरीबी रेखा से ऊपर या एपीएल परिवार) की श्रेणियों में आने वाले परिवारों को सस्ते दर पर चावल और गेहूं मुहैय्या करवाया जाएगा. इसके अलावा गर्भवती, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पका हुआ खाना भी उपलब्ध करवाया जाएगा. साथ ही गर्भवती महिलाओं को हर माह 1000 रुपए देने का भी प्रावधान है. इस विधेयक के अनुसार कृषि के विकास के लिए 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपयों का निवेश किया जाएगा. इस कानून के बनने से बीपीएल के परिवारों को क्रमश: 3 और 2 रु. प्रति किलोग्राम की दर से हर माह 7 किलो चावल और गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावे एपीएल के परिवारों को भी बाजार मूल्य से आधे मूल्य पर चावल और गेहूं उपलब्ध करवाए जाएंगे और यह इन दोनों ही तरह के परिवारों का कानूनन अधिकार होगा. कांग्रेस के लिए इसी बजट में इस बिल को पास करवाने का एक और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने यह बिल लाने का वादा किया था.अगर यह पारित होता है तो 2013 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने वादों को पूरा करने का अपना एक सकारात्मक पक्ष जनता को दिखा सकती है. और यह तो 80 करोड़ गरीब जनता का सवाल है. क्योंकि आगामी शुक्रवार (10 मई) तक बजट सत्र समाप्त होने की आशंका जताई जा रही है तो कांग्रेस हर हाल में यह विधेयक पारित करवाने में जुटी है.


भाजपा के अवरोध के कारण

भाजपा के इस विधेयक के पारित होने में अड़ंगा डालने के दो कारण हैं. पहला तो कि कोयला घाटाला और रेलवे बोर्ड रिश्वत मामलों में वह क्रमश: कानून मंत्री अश्विनी कुमार और रेलवे मंत्री पवन बंसल के इस्तीफे की मांग कर रही है. दूसरा कारण भी घोटालों से ही जुड़ा है. भाजपा का कहना है कांग्रेस कार्यकाल में आम और गरीब लोगों की भलाई के लिए बने लगभग सभी महत्वपूर्ण कानून घोटालों की बलि चढ़ गए. लगभग सभी कानून ग्रामीण और गरीब तबके के आम भारतीय परिवारों के हित में बड़े बजट के साथ बनाए जाते हैं पर उनका लाभ उन परिवारों से ज्यादा घोटालेबाज सरकार ले जाती है. जनता के हित के इकट्ठे उन पैसों को कांग्रेस सरकार घोटालों की श्रृंखला बनाते हुए खुद लूट रही है. मनरेगा से लेकर, कोयला आवंटन, भूमि अधिग्रहण कानून, 2जी घोटाला हर जगह इस सरकार ने घोटाले कर जनता का पैसा लूटा है. ऐसे में वह एक और बड़े बजट का कानून बनाकर अपने लिए एक और घोटाले का रास्ता बना रही है. जब लोगों को उसका पूरा लाभ मिलता ही नहीं तो दिखावे और वोट बैंक बढ़ाने के लिए कानून बनाने का क्या फायदा है.


अब देखना है कि आम लोगों की भलाई का यह मुद्दा कौन सा रुख लेता है. जहां कुछ लोग बीजेपी की विधेयक पारित न होने देने की कोशिशों को गलत और आम लोगों के विरोध में मानते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बीजेपी के रुख से सहमति रखते हैं. यह भी हो सकता है कि बीजेपी इसे लगातार घोटालों में डूबी अपनी छवि सुधारने की कांग्रेस और यूपीए सरकार का चुनावी कदम मानकर आगामी चुनावों के लिए ही कांग्रेस की भ्रष्टाचारी छवि को उभारकर अपने लिए एक मजबूत पक्ष भी बनाना चाहती हो. बहरहाल बीजेपी की इस विधेयक के पारित न होने की तमाम कोशिशों को धता बताते हुए जारी किया व्हिप कांग्रेस के पक्ष में इस बिल को पास करवा पाता है कि नहीं यह तो संसद की कार्यवाही के बाद ही पता चलेगा.


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