कहने को तो राजनीति का असली मकसद देश सेवा के कामों में अपनी भागीदारी देना है, देश को आर्थिक, सामाजिक मोर्चों पर सुदृढ़ बनाना है लेकिन स्वार्थ से लिप्त भारत की राजनीति के विषय में ऐसी बातें कुछ ज्यादा ही अटपटी लगती हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं कि हमारे राजनीतिज्ञ देश सेवा का कार्यभार संभालने में खुद को असहाय साबित कर चुके हैं और जब तक सत्ता में हैं कोई काम तो करना ही है, देश सेवा ना सही देश को लूटने का काम तो कर ही सकते हैं. इसीलिए वे अपना ज्यादातर समय देश की जनता को लूटने और कैसे भी, किसी भी तरीके से धन अर्जित करने में लगाते हैं. अब भले ही अन्य किसी को यह सुनकर हैरानी हो कि देश को लूटने और भ्रष्टाचार करने का काम सिर्फ राजनीतिज्ञों का ही नहीं बल्कि उनके परिवार वाले भी इस काम में उनका पूरा-पूरा सहयोग दे रहे हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ बड़े घोटालेबाजों से रूबरू करवाएंगे जो खुद तो राजनीति से जुड़े हुए नहीं हैं लेकिन अपने करीबी व्यक्ति के राजनीति से जुड़े होने का वह भरपूर फायदा उठा रहे हैं:
1. शारदा चिट फंड घोटाले में फंसीं चिदंबरम की पत्नी: हाल ही में हुए देश के सबसे बड़े और हिला देने वाले शारदा रियलिटी चिट फंड घोटाले में वित्त मंत्री की पत्नी नलिनी का नाम भी सामने आया है. शारदा ग्रुप के कर्ता-धर्ता सुदीप्तो सेन ने सीबीआई को लिखे पत्र में वित्त मंत्री की पत्नी नलिनी का नाम लिया था. सुदीप्तो के अनुसार पूर्वोत्तर के एक टीवी चैनल की डील में नलिनी ने वकील की भूमिका अदा की थी.
2. रॉबर्ट वाड्रा: इस नाम से भला कौन परिचित नहीं है. देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पॉलिटिकल पार्टी कांग्रेस के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का सीधे तौर पर तो राजनीति से कोई संबंध नहीं है लेकिन कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी वाड्रा के पति होने के कारण भ्रष्टाचार करने का उनका अधिकार उनसे कोई छीन नहीं सकता.
पिछले दिनों रॉबर्ट वाड्रा और रियल इस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच हुआ एक सौदा बेहद विवादास्पद रहा था. समाज सेवक और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा पर यह आरोप लगाया था कि डीएलएफ ने राबर्ट को 65 करोड़ रुपए लोन दिया है और वह भी किसी ब्याज या किसी जमानत के बिना, और इसी लोन से रॉबर्ट वाड्रा ने डीएलएफ में संपत्ति खरीदी है. रॉबर्ट वाड्रा पर यह आरोप लगा कि उन्होंने महज 50 लाख रुपए का इंवेस्टमेंट किया और 65 करोड़ रुपए डीएलएफ से लिए. वरिष्ठ वकील और अन्ना टीम के पूर्व सदस्य प्रशांत भूषण ने यह सवाल उठाया था कि डीएलएफ ने बिना ब्याज का लोन देकर फिर अपनी ही जमीनें क्यों बेचीं?
3. आदर्श घोटाले में फंसे पृथ्वीराज चव्हाण: कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं के लिए बनी आदर्श हाउसिंग सोसायटी के फ्लैट हड़पने और अपने रिश्तेदारों में बांटने जैसे आरोपों के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को दोषी ठहराया गया. एक निजी चैनल द्वारा किए गए खुलासे में इस सौदेबाजी की हकीकत सामने आई. इस खरीद-फरोख्त में चव्हाण ने राजस्व विभाग की ओर से सोसायटी को क्लीयरेंस दिलवाया, जिसके बदले में उनके पांच रिश्तेदारों को आदर्श हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट दिए गए थे.
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