देश की राजधानी दिल्ली में 3 अक्टूबर से लेकर 14 अक्टूबर तक कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 का आयोजन किया गया. इस दौरान पूरे विश्व की नजरें भारत पर टिकी हुई थीं. भारत ने जहां इस गेम्स में बेहतर प्रदर्शन किया था वहीं गेम्स संपन्न होने के बाद मीडिया में एक ऐसा नाम उछला जिसे आज भारत में भ्रष्टाचार के पर्याय के रूप में जाना जाता है. भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी (Suresh Kalmadi) ही वह व्यक्ति हैं जिसे लोग भ्रष्टाचार के प्रतीक के तौर पर देखते हैं. अब उनके नाम पर तो चुटकुले तक भी निकल पड़े हैं.
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1 मई, 1944 को जन्मे सुरेश कलमाड़ी (Suresh Kalmadi) ने नेशनल डिफ़ेंस अकादमी (एनडीए) खड़कवासला से स्नातक किया. कलमाड़ी परिवार कर्नाटक का रहने वाला था. सुरेश कलमाड़ी के पिता डॉक्टर के. शामराव पुणे के जाने-माने समाजसेवी थे. उन्होंने कन्नड संघ और पुणे में कन्नड स्कूल की शुरुआत की. वर्ष 1965 में पायलट के तौर पर कलमाड़ी भारतीय वायुसेना से जुड़े. उन्होंने 1965 और 1971 की जंग में भी हिस्सा लिया. इसके बाद 70 के ही दशक में कलमाड़ी पुणे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए. वायुसेना से सेवानिवृत्ति के बाद कलमाड़ी ने बिजनेस भी शुरू किया. कलमाड़ी ने पूना कॉफी हाउस को खरीदकर शानदार तरीके से चलाना शुरू किया. इसी दौरान उनकी मुलाकात शरद पवार से हुई जिन्हें बड़ा भाई मानकर वह राजनीति में कूद पड़े. फिर क्या था शरद पवार के साथ ने कलमाड़ी की पहचान दिल्ली में कराई और वह खेल राजनीतिज्ञ बन बैठे.
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भारतीय वायुसेना के पायलट से लेकर राजनीति तक का सफर करने वाले सुरेश कलमाड़ी 1982 में राज्य सभा के लिए मनोनीत हुए. नरसिम्हा राव सरकार में वो केंद्र में रेल राज्य मंत्री बने. वे अब तक के एकमात्र रेलवे राज्य मंत्री हैं जिन्होंने संसद में रेल बजट प्रस्तुत किया. पायलट होने के कारण कलमाड़ी के राजीव गांधी से भी अच्छे संबंध थे. टिकट न मिलने की वजह से वर्ष 1997 में कलमाड़ी ने कांग्रेस को विदा कह दिया था और नई पार्टी पुणे विकास अघाड़ी बनाई, लेकिन उसका बहुत असर नहीं हुआ. वो 1999 का चुनाव हार गए. बाद में वापस कांग्रेस में आ गए. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस की तरफ से 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में सफलता हासिल की और पार्टी में अपनी एक मजबूत स्थिति बनाई.
भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष रहे सुरेश कलमाड़ी कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में आयोजन समिति के चेयरमैन बने. खेल का आयोजन तो सफल रहा लेकिन इस आयोजन में कलमाड़ी के देखरेख में भारी धांधलेबाजी सामने आई. टॉयलेट पेपर से लेकर खेल के साजो-समान तक घोटालों से अच्छी खासी रकम बटोरी गई जिसके कारण कमलाड़ी को जेल हुई. खेल से जुड़े भ्रष्टाचार में उनका नाम सामने आने से कांग्रेस ने उन्हें अपनी पार्टी से निलंबित कर दिया. बाद में न्यायालय ने जनवरी 2012 में 10 महीने से जेल में बंद कलमाड़ी को पांच लाख रुपये के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया.
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