Menu
blogid : 321 postid : 1088

क्या एफडीआई के पीछे यही सब है ?

चारो तरफ से आरोपों की मार झेलती यूपीए सरकार अब पूरी तरह एफडीआई को रिटेल में लाने की कोशिशों में लग गई है. सरकार को अपनी बात रखने और उसे लागू करने के लिए काफी विवादों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट इसके पक्ष में है और मंजूरी भी दे चुका है भले ही उसने साथ-साथ यह भी कहा है कि इसके नियमों में थोड़ा फेरबदल भी करना होगा. फिर भी सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.



Read:कितने आदमी थे? हा हा हा हा………



क्या राहत लाएगी एफडीआई: अगर भारत में एफडीआई को रिटेल में लाया जाए जिसका समर्थन सरकार कर रही है तो उनके मुताबिक क्या-क्या फर्क आएगा यह देखने वाली बात होगी. सरकार पूरी तरह से तैयार है और इसके पक्ष में कवायद भी करती दिख रही है. जानकारों की मानें तो उनका कहना है कि अगर एफडीआई को रिटेल में लाया भी जाता है तो इसका परिणाम कुछ वर्षों बाद ही सामने आएगा कि यह भारतीय समाज के लिए सकारात्मक है या नकारात्मक. जहां कहा जा रहा है कि इसके प्रवेश से खुदरा बाज़ार में काफी दिक्कत आएगी. एक वर्ग जो पूरी तरह से छोटे व्यवसाय़ों पर निर्भर है उसके जीवन-शैली में काफी फर्क आएगा और जिसका परिणाम ज्यादा नकारात्मक ही लग रहा है.


Read:यहां मौत के घाट उतारा जाता है


क्या इसके पीछे यह सब है: पिछले दिनों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विपक्ष के नेताओं को रात्रि के भोजन पर निमंत्रण दिया. यह निमंत्रण एफडीआई के बिल के ऊपर चर्चा के लिए दिया गया था. जिसमें विपक्ष के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवानी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली शमिल थे. एक बात यह भी है कि क्या मात्र विदेशी मुद्रा-भंडार बढ़ाने के लिए सरकार ऐसे कदम उठा रही है? अगर मात्र यही कारण है इसके पीछे तो सरकार इतना बड़ा कदम क्यों उठा रही है. जितने प्रतिशत रोजगार का भरोसा सरकार दिखा रही है वह काफी कम है और उससे तो एक बड़ा वर्ग जो अभी खुदरा व्यवसाय में संलग्न है, वह बेरोजगार हो जाएगा. ऐसे लोगों के लिए भी सरकार ने कोई उपाय नहीं सुझाया है.

आज़ादी के इतने समय बाद भी अगर सत्ता पक्ष देश के सभी वर्गों के लिए ना सोचे तो ऐसी आज़ादी का क्या फायदा!! हमेशा अपने या अपने चाहने वाले वर्गों के लिए सोचना क्या विकासशील लोकतंत्र के चेहरे पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाता?


Read More:

नरेन्द्र मोदी को नई चुनौती !!

सबहीं नचावत ई अम्बानी

आप महिलाओं का सम्मान करना नहीं जानते?



Tags:fdi in retail, fdi in india, fdi, foreign direct investment in india, एफडीआई, भारत, यूपीए, सुप्रीम कोर्ट, रिटेल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh