जिस तरह आग अगर सुलग जाए तो उसे फैलने में ज्यादा देर नहीं लगती ठीक इसी प्रकार पूरे देश में यह खबर फैल गई. शायद देश में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में भी यह खबर छाई गई. इस घटना का ऐसे अचानक होने का किसी को भी अन्दाजा नहीं था. सुबह-सुबह इस खबर ने सारे दर्शकों को चौंका दिया. यह मामला पिछले चार साल से अटका हुआ था. चार साल पहले मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले के आरोपी के रूप में पकड़े गए अज़मल आमिर कसाब को फांसी पर लटका दिया गया.
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मुम्बई हमले का मुख्य अभियुक्त(Terrorist Attack in Mumbai): मुम्बई हमले में सबूत के साथ पकड़े गए अजमल आमिर कसाब को पुणे के यरवदा जेल में फांसी दे दी गई. अजमल आमिर कसाब पर पिछ्ले चार साल से यह फैसला लिया जा रहा था पर किसी न किसी कारण की वजह से यह हमेशा टलता ही रहा. उस हमले में 166 लोग मारे गए थे और कसाब को फांसी देकर मारे गए लोगों और पूरे देश को श्रद्धांजलि दी गई. कसाब को फांसी देने के बाद महाराष्ट्र के गृह-मंत्री आर.आर. पाटिल ने इसकी औपचारिक घोषणा की. प्रेस को संबोधित करते हुए पाटिल ने कहा कानून के हित का ध्यान रखते हुए कसाब को पूरा मौका दिया गया जिससे वह अपना बचाव कर सके.
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आखिर इतनी देर क्यों(Hanging Kasab): पूरे घटनाक्रम पर अगर नज़र डाली जाए तो यहां एक प्रश्न प्रबल रूप में उठ कर खड़ा होता है कि आखिर यह फैसला लेने में सरकार को इतना देर क्यों लगा. जबकि कसाब को अपने बचाव के लिए समय दिया गया था. अपने पक्ष को रखने और उच्च स्तर तक अपनी जान की गुहार लगाने के लिए. फिर भी कसाब के ऊपर कार्यवाही इतने देर से क्यों की गई? जो देश खुद एक आर्थिक मन्दी से गुजर रहा है उस देश में एक आतंकवादी के ऊपर इतना पैसा क्यों खर्च किया जाता रहा? यह फांसी भले ही लाखों लोगों के दिल को राहत पहुंचाए पर देश की जनता के सामने बहुत सारे प्रश्न भी छोड़ गई है.
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