राजनीति पूरी तरह से खुलासों पर आधारित है. जैसे-जैसे खुलासे होंगे वैसे-वैसे राजनीति का रूप और ज्यादा परिष्कृत हो कर सामने आएगा. यह बाकी सारे मामलों से भिन्न है. बाकियों में पहले सूचना जारी की जाती है फिर उस पर अमल किया जाता है पर राजनीति में अमल होने के बाद उसकी सूचना प्राप्त होती है. भाजपा में खुद इतनी कलह चल रही कि उसके सदस्य स्वयं एक-दूसरे पर आक्षेप लगाने लगे हैं. भाजपा के आला मंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी आजकल भाजपा मेहरबान नहीं दिख रही है. चुनाव के वक़्त इस प्रकार की राजनीति से भाजपा को शायद स्वयं ही नुकसान पहुंच सकता है.
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ताज़ा आरोप: गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जितनी शिद्दत से अपने प्रचार में जुटे हुए हैं उतनी ही तेज़ी से भाजपा के अन्य नेता भी उन पर निशाना लगा रहे हैं. आरएसएस के पूर्व प्रवक्ता एमजी वैद्य ने अपने ब्लॉग में लिखा है भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी को उलझनों में डालने में शायद नरेन्द्र मोदी का ही हाथ है. यह आशंका जाहिर की जा रही है कि नितिन गडकरी की आलोचना करवाने तथा उनके ऊपर मुसीबतों का ढेर लगाने में भी नरेन्द्र मोदी का ही हाथ है. वैद्य ने यह सब अपने ब्लाग के जरिए कहा है कि भाजपा के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने गडकरी पर लगे आरोपों की जांच की मांग की है और उन्होंने भी इसके पीछे नरेन्द्र मोदी का हाथ होने की आशंका जाहिर की है.
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और कितना इंतजार करना होगा: भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों का यह कहना है कि नरेन्द्र मोदी को अभी अपने प्रधानमंत्री बनने के स्वप्न को थोड़ा विराम देना चहिए. वरिष्ठों का यह मानना है कि अभी वो समय नहीं आया है कि नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए एक प्रबल दावेदार माना जाए. अभी से ही प्रधानमंत्री के पद के लिए कयास लगाना निरर्थक है अभी चुनाव को काफी देर है और इसके लिए पार्टी का फैसला सर्वोच्च होगा. खुद ही सारे फैसले कर लेना पार्टी की नीतियों से विमुख होना होगा. एक तरफ जहां नितिन गड़करी के बचाव में भाजपा के कुछ सदस्य लगे हुए हैं वहीं कुछ सदस्य उनके ऊपर लगे आरोपों की वजह से उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. यह पक्ष यह साफ-साफ बताता है कि भाजपा में किस प्रकार सेंध लग रही है और किस प्रकार दो गुटों का प्रादुर्भाव हो रहा है जिससे यह आंकलन किया जा सकता है कि भाजपा की एकता अब अखंड नहीं रह गई है.
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