केंद्रीय मंत्रिमंडल में किए गए फेरबदल के बाद एक तथ्य बाहर आया है. यह एक ऐसा तथ्य है जिस पर अचरज के साथ-साथ हैरानी भी हो रही है. हाल के परिवर्तित मंत्रिमंडल में पूर्वोत्तर राज्यों से एक भी कैबिनेट मंत्री नहीं है. इसका कारण क्या हो सकता है जो आज़ादी के बाद पहली बार ऐसे मंत्रिमंडल का गठन हुआ है जिसमें एक भी ऐसा मंत्री नहीं है जो पूर्वी क्षेत्र से ताल्लुक रखता हो. इतने बड़े क्षेत्र से इस देश में एक भी कैबिनेट मंत्री ना हो यह विचार करने वाला प्रश्न है. पूर्वोतर राज्यों की उपेक्षा करना क्या कांग्रेस(Congress) की कोई नई चाल है? इस इलाके से जहां 182 सांसद हैं क्या किसी में भी मंत्री बनने लायक क्षमता नहीं थी जो इन्हें दरकिनार कर दिया गया.
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इस पूरे समीकरण में भले ही कांग्रेस अपना राजनैतिक फायदा देखती हो पर सामाजिक समीकरण बनाने में शायद विफल रही है. कांग्रेस फेरबदल कर उन्हीं लोगों को कैबिनेट में जगह दे रही है जिनसे उसे आने वाले चुनाव में फायदा पहुंच सकता है. कांग्रेस यह तथ्य जानती है कि जिन राज्यों में उसकी पकड़ नहीं है वहां बेकार का समय नष्ट कर के कोई फायदा नहीं है. जो राज्य उसे आने वाले चुनाव में एक अच्छी स्थिति प्रदान कर सकते हैं उन राज्यों के विशेष लोगों को आला दर्जे की हैसियत प्रदान कर उन्हें खुश करना ही कांग्रेस का प्रथम लक्ष्य है. भले ही यह विशेष मंत्री कई आरोपों से घिरे हों फिर भी इनके पास वोट की कोई कमी नहीं है. सलमान खुर्शीद पर भले ही कितने गंभीर आरोप क्यों ना लगे हों फिर भी कांग्रेस यह जानती है कि चुनाव के समय इनके पास भारी मात्रा में अल्पसंख्यक वोट मौजूद होंगे. किसी अन्य राज्य की अपेक्षा इन राज्यों में कांग्रेस को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी.
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क्या अपनी छवि सुधारना नहीं चाहती कांग्रेस
पूर्वोतर राज्यों में अपनी छवि से परेशान कांग्रेस अब इन पर ध्यान नहीं देना चाहती. वो जानती है अब अगर अपनी तस्वीर को साफ कर भी लिया जाए तो कोई खास फर्क नहीं आने वाला है. वो अब पूरी तरह उन पर ध्यान देना चाहती है जिनसे उसे कोई आशा दिख रही है या जो आने वाले चुनाव में उसकी मदद कर सकता है. जाति, धर्म किसी भी रूप में बस अब वो अपना फायदा ही देखना चाहती है. इस समय वो इस अवस्था में है जहां वो कोई भी विकल्प हाथ से नहीं जाने देना चाहती. जिस सत्ता पक्ष के प्रधानमंत्री से लेकर अन्य मंत्रियों तक पर दाग लगा है वो अपने दाग को धोने में समय नहीं व्यर्थ करना चाहती.
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