राजा पर प्रजा हमेशा ही भारी होती है. कभी-कभी समय का बदलाव ऐसा होता है कि राजा का वर्चस्व ज्यादा दिखाई देने लगता है पर यह वर्चस्व अधिकांश समय तक कायम नहीं रहता है. ऐसा ही कुछ हाल हिमाचल प्रदेश के चुनावी मैदान का नजर आ रहा है जहां कांग्रेस अपने राज परिवारों के सदस्यों को मैदान में उतार रही है क्योंकि कांग्रेस यह अच्छी तरह जानती है कि हिमाचल प्रदेश में आज भी राज परिवारों के सदस्य लोगों के बीच में एक खासा प्रभाव रखते हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस ने हमेशा से ही अपने राज परिवारों के वर्चस्व को लेकर तानाशाही करने की कोशिश की है पर अब हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक भूमि में भाजपा कांग्रेस के राजपरिवार के सदस्यों के विरुद्ध अपने आम नागरिक को खड़ा करेगी.
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राजा बनाम आम नागरिक
कुछ दिनों से शांत हिमाचल में सियासत की गर्मी नजर आ रही है. हिमाचल विधानसभा चुनाव का प्रचार करते समय जहां कांग्रेस राजशाही वर्चस्व का प्रयोग कर रही है वहीं दूसरी तरफ भाजपा राजा बनाम आम नागरिक की लड़ाई लड़ रही है. मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके सांसद बेटे अनुराग ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने चुनावी जंग को राजा बनाम आम आदमी की लड़ाई करार दिया है. राजनीतिक जानकार भी कांग्रेस की यह कहकर आलोचना कर रहे हैं कि वह जीत के लिए लगातार राज परिवार के लोगों पर निर्भर है क्योंकि बिना राज परिवारों की मदद के कांग्रेस का हिमाचल प्रदेश में अपना किला बनाना मुश्किल है.
वीरभद्र सिंह रामपुर बुशहर रियासत के राज परिवार से ताल्लुक रखते हैं इसलिए ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने के वाई एस परमार के रिकॉर्ड को तोड़ इतिहास रचने की उम्मीद कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के रूप में परमार का कार्यकाल वीरभद्र से एक साल ज्यादा रहा है. पर वीरभद्र पर निशाना साधते हुए प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर समूचे हिमाचल प्रदेश में अपनी जनसभाओं में यह कहते नजर आते हैं कि प्रेम कुमार धूमल जहां किसान की संतान हैं, वहीं कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिए वीरभद्र सिंह जैसे राजाओं की आवश्यकता है.
वीरभद्र की पत्नी को टिकट देने से इंकार
वीरभद्र जहां अपने आपको कांग्रेस का मुख्य नेता समझते हैं और हिमाचल पर फिर से अपनी हुकूमत स्थापित करने का सपना देखते हैं वहीं उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को कांग्रेस ने चुनावी उम्मीदवार के रूप में टिकट नहीं दिया है. प्रतिभा खुद कसूमपती से चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया. उनकी जगह कांग्रेस का टिकट युवा अनिरुद्ध सिंह को चला गया, जो वर्तमान में शिमला जिला परिषद के अध्यक्ष हैं.
कसूमपती क्षेत्र: राज परिवार आमने-सामने
शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में वीरभद्र के सामने हालांकि, राज परिवार से ताल्लुक रखने वाला कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है, लेकिन शिमला जिले के कसूमपती क्षेत्र में राज परिवार से ताल्लुक रखने वाले आमने-सामने हैं. यहां कांग्रेस ने कोटी रियासत के पूर्व राजा अनिरुद्ध सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. उनके सामने कियोंथल राजघराने की पूर्व रानी ज्योति सेन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़ी हैं.
दूसरी तरफ, कुल्लू राजपरिवार के वंशज महेश्वर सिंह कुल्लू विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भाजपा प्रतिद्वंद्वी के रूप में अनुसचित जाति से ताल्लुक रखने वाले आम आदमी राम सिंह हैं.
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