गुजरात विधानसभा चुनाव पर दुनिया भर के लोगों की नजर है. गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटों के लिए दो चरणों में 13 और 17 दिंसबर को चुनाव होने हैं. गुजरात में कुल तीन करोड़ 78 लाख मतदाता हैं और इन मतदाताओं के मतदान की मतगणना 20 दिसंबर को होगी. ऐसे में साफ जाहिर है कि हर मीडिया समूह मतगणना के नतीजे आने से पहले अपने अनुमान लगाना शुरु कर देगा. गुजरात की राजनीति में नरेंद्र मोदी एक मुख्य चेहरा हैं और तमाम पार्टियां नरेंद्र मोदी को पछाड़ने की कोशिश में लगी हुई हैं पर शायद ही वो इस कोशिश में कामयाब हो पाएंगी.
मीडिया के एक समूह ने बड़ी मात्रा में एक सर्वे किया है जिसमें साफ कहा गया है कि मोदी का एक बार फिर मुख्य्मंत्री बनना तय है. सर्वे के अनुसार इस चुनाव में न केवल मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की जीत होगी बल्कि उसकी सीटों की संख्या भी बढ़ेगी. इस सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है तो 43 फीसदी लोगों का यह मानना था कि विकास मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि है. यहां तक इस मीडिया गुप्र के सर्वे में इस बात को भी साफ किया गया कि 58 फीसदी लोग मोदी को 2002 के गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार नहीं मानते हैं? और उनका यह भी मानना है कि यदि मोदी भविष्य में प्रधानमंत्री बनते है तो गुजरात का विकास तय है.
मोदी विकास के आधार पर गुजरात में चुनाव लड़ते आए है शायद इसलिए 22 सालों से कांग्रेस सिर्फ भाजपा को पछाड़ने की कोशिश में ही लगी हुई है. मोदी को हमेशा से आम जनता के हर समूह का समर्थन मिलता रहा है भले ही कुछ मीडिया समूह और विरोधी पार्टियों ने मोदी की छवि को साम्प्रदायिक जैसे शब्दों से जोड़ कर देखा हो. मोदी को आम जनता का समर्थन है इस बात को कहने में कोई शंका नहीं है… 2011 में मोदी के प्रशंसकों की संख्या चार लाख थी, तब से उनके छह लाख प्रशंसक जुड़े हैं, आज 2012 में ट्विटर पर मोदी के प्रशंसकों की सख्या 10 लाख से भी पार हो चुकी है.
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गुजरात में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिले अरसा हो गया. आखिरी बार 1985 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला था. 22 वर्षों के प्रयास के बाद भी सत्ता से दूर कांग्रेस इतने लम्बे अरसे बाद भी यथार्थ के धरातल पर उतनी सक्रिय नहीं है, जितनी कि भाजपा और उसके मुखिया तथा ट्रम्प कार्ड नरेन्द्र मोदी. नरेंद्र मोदी भाजपा के लिए गुजरात चुनाव में वो चेहरा है जो जमीनी धरातल पर आम लोगों से जुड़ा हुआ है पर दूसरी तरफ मोदी को चुनौती देने वाली पार्टी कांग्रेस के पास ऐसा कोई भी चेहरा नहीं है जो जमीनी हालात पर आम जनता से जुड़ा हो या साफ तौर पर कहे तो कांग्रेस के पास स्थानीय स्तर पर कोई बड़ा और प्रभावशाली नेता नहीं है, जो मोदी के मुकाबले टिक सके.
कांग्रेस पार्टी कीआलाकमान सोनियां गांधी ने गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव प्रचार के समय बड़ी मात्रा में भीड़ तो एकत्रित की पर भीड़ ने उन्हें उपहार में गुजरात की सत्ता नहीं दी क्योंकि गुजरात की सत्ता कोई तोहफा नहीं है जिसे उपहार में दिया जा सके इसके लिए जमीनी हालात से रूबरू होना होता है. कांग्रेस पार्टी के लिए यह मौका भी है कि वो नरेंद्र मोदी और केशुभाई पटेल की बीच की दरार का फायदा उठा ले पर यदि गुजरात के राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो लगता नहीं है कि कांग्रेस को इस तकरार का लाभ मिल पाएगा. गुजरात का राजनीतिक इतिहास कहता है कि 1998 के चुनाव में शंकरसिंह वाघेला ने नई पार्टी बनाई थी, लेकिन उसे केवल 4 सीटें मिली थीं. इस बार भी गुजरात भाजपा के कभी भीष्म कहे जाने वाले और पूर्व मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल ने गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाई है. यदि इतिहास अपने आपको दोहराएगा, तो यह तय है कि बहुमत भाजपा को ही मिलेगा. कांग्रेस से लेकर अन्य विरोधी पार्टियों को यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिए कि यदि गुजरात में चुनाव जीतना है तो साम्प्रदायिकता को बार-बार मुद्दा बनाकर चुनाव प्रचार करने के बदले मोदी की तरह विकास को आधार बनाकर गुजरात में चुनाव लड़ने का प्रयास करें.
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