नरेंद्र मोदी हमेशा से ही चर्चाओं में रहे हैं कभी अपने भाषणों के कारण तो कभी अपने दुश्मन बनाने के कारण. नरेंद्र मोदी ने शुरू से ही अपने दुश्मनों पर सीधा वार किया है जिससे कि उनके दुश्मनों में जरा भी इस बात की शंका ना रहे कि वो नरेंद्र मोदी के निशाने पर हैं. गुजरात विधानसभा चुनाव नजदीक है ऐसे में तय था कि मीडिया में खबरों का सारा उबाल नरेंद्र मोदी पर ही टूट कर पड़ेगा.
हर किसी को इंतजार था कि नरेंद्र मोदी गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए कौन से नेताओं पर अपना भरोसा दिखाएंगे और किन नेताओं से दूरी बनाकर रखेंगे. नरेंद्र मोदी द्वारा चुनाव आयोग को राज्य में प्रचार के लिए सौंपी गई सूची में न ही कोई प्रमुख मुस्लिम चेहरा है और ना ही भाजपा के बिहार राज्य के नेताओं का नाम ही शामिल है. इससे यह बात तो साफ जाहिर हो गई कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच आज भी दूरी है. चुनाव आयोग को 39 भाजपा प्रचारकों की जो सूची सौंपी गई है उसमें सुशील कुमार मोदी, रवि शंकर प्रसाद, शहनवाज़ हुसैन, राजीव प्रताप रूडी और शत्रुघ्न सिन्हा के नाम शामिल नहीं हैं. पर नरेंद्र मोदी ने हमेशा से उनके समर्थक रहे आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली का नाम सूची में शामिल करके अपनी दोस्ती का प्रमाण दे दिया है. भारतीय राजनीति में उन नेताओं की कमी नहीं है जो नरेंद्र मोदी को अपना दुश्मन मानते हैं पर अब सवाल उन नेताओं का है जिन्हें नरेंद्र मोदी अपना दुश्मन मानते हैं.
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केशुभाई पटेल और नरेंद्र मोदी
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल और नरेंद्र मोदी की दुश्मनी के चर्चे हर जगह हैं. मीडिया का एक वर्ग कहता है कि केशुभाई पटेल हर वो कोशिश करना चाहते हैं जिससे कि वो गुजरात की सत्ता को फिर से हासिल कर सकें. एक ज़माने में नरेन्द्र मोदी केशुभाई पटेल के क़रीबी हुआ करते थे. केशुभाई पटेल हमेशा से कहते आए हैं कि नरेन्द्र मोदी के पास धन है और मेरे पास जन है. केशुभाई यूं तो कहते हैं कि वो सरकार बनाने के लिए लड़ रहे हैं वोट काटने के लिए नहीं, लेकिन यहां हर कोई मानता है कि केशुभाई अगर किंगमेकर की भूमिका में हुए तो वो मोदी को हटाने की शर्त पर भाजपा को समर्थन देना पसंद करेंगे.
संजय जोशी और नरेंद्र मोदी
एक ज़माने में नरेन्द्र मोदी और संजय जोशी दोनों दोस्त थे. पहले नरेन्द्र मोदी गुजरात भाजपा के संगठन महामंत्री बने बाद में संजय जोशी. नरेंद्र मोदी के दुश्मन ज्यादा समय तक उनके आगे टिक नहीं पाते हैं. संजय जोशी मोदी की जिद के कारण पार्टी से निकाल फेंके गए हैं. जानकारों का मानना है कि मोदी उस समय से जोशी से नाराज़ हैं जब केशुभाई पटेल भाजपा में रहते हुए मोदी से लड़ रहे थे और जोशी पटेल के समर्थन में खड़े थे.
शंकरसिंह वाघेला
मोदी की तरह ही गुजरात भाजपा के एक कद्दावर नेता रहे वाघेला इन दिनों कांग्रेस में हैं. केशुभाई के मुख्यमंत्रित्व काल में नरेन्द्र मोदी के बढ़ते प्रभाव के कारण वाघेला ने विद्रोह कर दिया था जिसके कारण संजय जोशी को मोदी की जगह राज्य भाजपा का संगठन महामंत्री बनाया गया. मोदी और वाघेला की दुश्मनी तब से चली आ रही है.
हरेन पंड्या
गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री रहे हरेन पंड्या एक ज़माने में नरेन्द्र मोदी के बेहद नज़दीकी थे. नरेंद्र मोदी के कारण ही पंड्या को पहला विधानसभा का टिकट मिला था. बाद में पंड्या केशुभाई पटेल और संजय जोशी के पक्के समर्थक हो गए और मोदी के राजनीतिक शत्रु.
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