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आज कई पार्टियों के दामाद नजर आ रहे हैं वाड्रा

गांधी परिवार का हर एक सदस्य राजनीति में चर्चाओं का हिस्सा बना है पर इस बार बात गांधी परिवार के दामाद की है जिन्हें सरकार हर तरह से बचाने की कोशिशों में लगी है. गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ड वाड्रा इस समय चर्चाओं में हैं क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने अपना निशाना रॉबर्ड वाड्रा को बनाया है. केजरीवाल ने रॉबर्ड वाड्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि डीएलएफ़ समूह ने गलत तरीकों से रॉबर्ट वाड्रा को 300 करोड़ रुपयों की संपत्तियां कौड़ियों के दामों में दे दीं. बस अरविंद केजरीवाल के यह बात कहने की देरी थी कि अचानक से रॉबर्ट वाड्रा को विवादों ने घेर लिया. यूपीए सरकार और यूपीए सरकार की सहयोगी पार्टियां इन दिनों हर वो कोशिश करती हुई नजर आ रही हैं जिससे कि वो गांधी परिवार के दामाद को सही साबित कर सकें.

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sonia and vadraदेश में सता में आने से पहले राजनेता बड़े-बड़े दावे करते हैं और चुनाव का बड़े जोश से प्रचार कर कहते हैं कि सरकार देश के हर नागरिक को केवल आम नागरिक की नजर से देखेगी पर पार्टी के सता में आने के बाद बाजी पलट जाती है और चुनाव का प्रचार करते समय की गई बातें पार्टी के लिए केवल झूठे वादे बनकर रह जाती हैं. कुछ ऐसा ही हो रहा है इन दिनों यूपीए के साथ. कांग्रेस जिस पर गांधी परिवार का हुक्म चलता आया है और कांग्रेस के अधिकांश राजनेता गांधी परिवार की जी हुजूरी करते आए हैं शायद इसलिए आलाकमान के दामाद रॉबर्ट बाड्रा कांग्रेस के सभी राजनेताओं को अपने दामाद नजर आ रहे हैं और इस मामले में यूपीए गठबंधन की सहयोगी पार्टियां भी पीछे नहीं है क्योंकि यूपीए गठबंधन की सहयोगी पार्टियां यह सोच रही हैं कि गांधी परिवार के दामाद का साथ देने के बहाने शायद उनके भी कुछ काम बन जाएं जो उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य मजबूत करने में मदद करे.


सोनिया गांधी के दामाद के ऊपर अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाए पर सोनिया गांधी ने चुप्पी साधे रखी क्योंकि वो अच्छी तरह जानती थीं कि यदि वो अपने दामाद के पक्ष में बोलेंगी तो शायद जनता यह समझे कि सास अपने दामाद के पक्ष में बोल रही है और शायद इस बात का असर 2014 के संसदीय चुनाव में देखने को मिले. पर सच यह है कि आलाकमान को ऐसे बहुत से पैंतरे आते हैं जिससे कि वो अपने मुख की बात किसी और के मुख से कहलवा सकती हैं. वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने डीएलएफ-रॉबर्ट वाड्रा विवाद पर कहा है कि सरकार निजी सौदों की जांच नहीं करा सकती है जब तक कि बदले में कोई खास फायदा पहुंचाए जाने का आरोप सामने नहीं आता है. और साथ ही सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी का बयान भी कुछ ऐसा ही था जब उन्होंने कहा कि बिना किसी सबूत के आरोप नहीं लगा सकते. अगर आरोप लगा भी रहे हैं तो याद रखिए आपकी अंगुली सामने वाले की ओर तो है पर बाकी अंगुलियां आपकी तरफ ही हैं.


अगर यह सोच लिया जाए कि अरविंद केजरीवाल ने जो आरोप गांधी परिवार के दामाद रॉबार्ट वाड्रा पर लगाए हैं वो ही आरोप किसी आम नागरिक ने लगाए होते तो क्या रॉबर्ट वाड्रा पर कोई कार्यवाही नहीं होती? जिसका अर्थ यह हुआ कि सिर्फ कहने के लिए हमारा देश लोकतांत्रिक देश है. यदि हमारा देश सिर्फ कहने के लिए लोकतांत्रिक देश नहीं है तो फिर क्यों बिना किसी जांच के किसी व्यक्ति को आरोप मुक्त कर दिया जाता है क्या सिर इसलिए कि गांधी परिवार का दामाद है? पर जिस तरह से गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को यूपीए और यूपीए की सहयोगी पार्टियां बचाती हुई नजर आ रही हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि रॉबर्ट वाड्रा अब सोनिया गांधी के दामाद ना रहकर कई राजनेताओं के दामाद बन गए हैं.

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