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शीशा उतना ही बड़ा होता है जितने की जरूरत….

“हर घर में लोग शीशा टांगते हैं. जिसको अपनी सूरत की जितनी चिंता होती है वो उतना ही बड़ा शीशा टांगता है. साहित्य, कला और कार्टून ये समाज और देश का आइना हैं. आपको अगर तरक्की करनी है तो बड़ा शीशा टांगना होगा. यह कहा है कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी ने, जो हाल ही में अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का प्रयोग करने के चलते ‘देशद्रोह’ जैसे आरोपों का सामना कर रहे है.


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“सलमान रुश्दी जैसे लेखक की भारत यात्रा पर रोक लगा दी जाती है क्योंकि सलमान रुश्दी ने अभिव्यक्ति की आजादी का प्रयोग किया, तस्लीमा नसरीन की भी भारत यात्रा पर रोक लगा दी जाती है क्योंकि वो भी अभिव्यक्ति की आजादी का प्रयोग भली-प्रकार जानती हैं…….


aseemऐसे ही अभिव्यक्ति की आजादी का प्रयोग किए जाने पर एक कार्टूनिस्ट पर देशद्रोही का आरोप लगा देना बड़ी बात नहीं है. हाल ही में आई एक खबर ने अभिव्यक्ति की आजादी पर हजारों सवाल खड़े कर दिए हैं और साथ ही इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि जो व्यक्ति अभिव्यक्ति की आजादी का प्रयोग करना जानते होंगे वो कहीं ना कहीं सहम जरूर गए होंगे.


सोचिए कि अभिव्यक्ति की आजादी आखिरकार है क्या ? अगर हर व्यक्ति के पास यह आजादी है कि वो स्वतंत्र रूप से अपनी बात या सोच की अभिव्यक्ति कर सकता है तो फिर क्यों स्वतंत्र रूप से अपनी बात की अभिव्यक्ति करने पर सजा सुनाई जाती है और कहा जाता है कि अभिव्यक्ति की आजादी की भी कुछ सीमाएं हैं.


भारतीय संविधान में 19(अ) के अनुसार हर व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से अपनी बात की अभिव्यक्ति करने का अधिकार है पर साथ ही भारतीय सविधान में 19(ब) के अनुसार अभिव्यक्ति की आजादी की कुछ सीमाएं बताई गई हैं जिसके अंतर्गत ही व्यक्ति अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का प्रयोग कर सकता है.


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कार्टूनिस्ट अमित त्रिवेदी पर देशद्रोह का आरोप लगा देने के साथ-साथ एक ऐसी और खबर भी है जो ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के अधिकार को सवालों के घेरे में ला खड़ा करती है. पैगंबर मोहम्मद का कथित तौर पर अपमान करने वाली एक इस्लाम-विरोधी फिल्म के इंटरनेट पर जारी होने के बाद, लीबिया और मिस्र में अमरीकी दूतावासों पर हमले हुए हैं.


इन हमलों में लीबिया में अमरीकी राजदूत समेत तीन अमरीकी नागरिक और 10 लीबियाई नागरिक मारे गए हैं और साथ ही ऐसी फिल्मों पर रोक लगाने की मांग उठ रही है. अब सवाल यह है कि क्या एक व्यक्ति को फिल्म या चित्रों या फिर किसी भी माध्यम से अपनी बात कहने का हक नहीं है? क्या स्वतंत्र रूप से बात कहने के हक से जरा भी तात्पर्य यह नहीं है कि जो व्यक्ति अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का प्रयोग कर रहा है वो सही बात ही बोल रहा होगा?


हालांकि आजादी के अर्थ को कभी भी सीमाओं के घेरे में नहीं देखा जा सकता है. आखिरकार आजादी का अर्थ ही यही होता है कि जहां किसी भी प्रकार की कोई भी सीमा ना हो. अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार हर व्यक्ति का अधिकार है पर साथ ही इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि अभिव्यक्ति का अर्थ सिर्फ अपनी बात को स्वतंत्र रूप से प्रस्तुत करना है ना की इस तरीके के साथ प्रस्तुत करना है जिससे किसी सामने वाले की धार्मिक-निजी-सामुदायिक भावनाओं को आघात पहुंचे या फिर किसी भी तरह से राष्ट्रीय भावनाओं पर आघात हो.


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Please post your comments on: क्या लगता है आपको अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की सीमाएं होनी चाहिए.


Tags: Salman Rushdie, cartoonist Aseem Trivedi, speak and write, right to speech, right to speak freely, right to speak freely amendment, Taslima Nasreen


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