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Vinoba Bhave: कभी भूदान आंदोलन तो कभी इमरजेंसी का समर्थन

Vinoba Bhave Biography

हाल ही में टीम अन्ना के कुछ सदस्यों ने देश में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए एक राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की है. सत्ता और सिस्टम में बदलाव लाने के लिए अकसर इसका हिस्सा बनना ही सही समझा जाता है लेकिन भारतीय राजनीति के इतिहास में कई ऐसे महान पुरुष भी हुए हैं जिन्होंने राजनीति में आए बिना इसकी गंदगी को दूर करने का सफल प्रयास किया है जैसे विनोबा भावे.

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विनोबा भावे को कई लोग भूदान आंदोलन के जनक के तौर पर याद करते हैं तो कुछ उनकी इमरजेंसी का समर्थन करने के लिए आलोचना करते हैं लेकिन बहुत कम लोग इस तथ्य को जानते हैं कि वह विनोबा भावे ही थे जिन्होंने 1979 में गो-हत्या को निषेध घोषित करने के लिए कानून पारित कराने में अहम भूमिका निभाई. यह वही विनोबा भावे थे जिनकी वजह से देश के लाखों किसानों को खुद की जमीन मिली.


इमरजेंसी का समर्थन

यह एक ऐसा पड़ाव था जिसकी वजह से कई लोग विनोबा भावे की आलोचना करते हैं. यूं तो विनोबा भावे ने आजादी के बाद राजनीति से दूर रहने का फैसला किय था लेकिन जिस समय भारत में इमरजेंसी लगी उस समय उनके एक बयान ने बहुत हल्ला मचा दिया था. 1975 में जब भारत में इमरजेंसी घोषित की गई थी तब विनोबा भावे ने इसका समर्थन करते हुए इमरजेंसी को “अनुशासन पर्व” घोषित किया था.


Acharya Vinoba BhaveAcharya Vinoba Bhave Biography in Hindi: विनोबा भावे का जीवन

विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर, 1895 को गाहोदे, गुजरात में हुआ था. विनोबा भावे का मूल नाम विनायक नरहरि भावे था. उनकी माता का नाम रुक्मणी देवी और पिता का नाम नरहरि भावे था. उनके घर का वातावरण भक्तिभाव से ओतप्रोत था.


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Vinoba Bhave and Gandhi ji: गांधी जी के साथ संबंध

काफी समय तक पत्रों के माध्यम से एक-दूसरे से वार्तालाप करने के बाद 7 जून, 1916 को विनोबा भावे पहली बार गांधी जी से मिले. 1921 में विनोबा भावे ने महात्मा गांधी के वर्धा स्थित आश्रम के प्रभारी का स्थान ले लिया. 5 अक्टूबर, 1940 को गांधी जी ने उन्हें पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही के रूप में चयनित कर राष्ट्र के समक्ष उन्हें पहचान दिलवाई. विनोबा भावे ने भारत छोड़ो आंदोलन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.


Bhoodan Andolan: भूदान आंदोलन

विनोबा भावे ने जन मानस को जागृत करने के लिए सर्वोदय आंदोलन शुरू किया था. विनोबा भावे का सबसे मुख्य योगदान वर्ष 1951 में भूदान आंदोलन की शुरुआत करना था. विनोबा भावे ने क्षेत्र के धनवान भूमि मालिकों से अपनी जमीन का कुछ हिस्सा दलितों को देने का आग्रह किया. आश्चर्यजनक रूप से बिना किसी हिंसा के सभी भू स्वामी अपनी भूमि देने के लिए तैयार हो गए. यहीं से भूदान आंदोलन जैसे ऐतिहासिक आंदोलन की शुरुआत हुई.


उन्होंने राजनीति में जाना स्वीकार नहीं किया और ऋषि परंपरा में संपूर्ण पृथ्वी को ‘सर्व भूमि गोपाल की’ कहा और पृथ्वी के निवासियों को अपना कुटुंब बताया.


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acharya-vinoba-bhaveविनोबा भावे को दिए गए सम्मान

विनोबा भावे पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें वर्ष 1958 में अंतरराष्ट्रीय रेमन मैगसेसे सम्मान प्राप्त हुआ था. उन्हें यह सम्मान सामुदायिक नेतृत्व के क्षेत्र में प्राप्त हुआ था. मरणोपरांत वर्ष 1983 में विनोबा भावे को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था.


Death of Vinoba Bhave: विनोबा भावे का निधन

नवंबर 1982 में जब उन्हें लगा कि उनकी मृत्यु नजदीक है तो उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया जिसके परिणामस्वरूप 15 नवम्बर, 1982 को उनकी मृत्यु हो गई. उन्होंने मौत का जो रास्ता तय किया था उसे प्रायोपवेश कहते हैं जिसके अंतर्गत इंसान खाना-पीना छोड़ अपना जीवन त्याग देता है.


गांधी जी को अपना मार्गदर्शक समझने वाले विनोबा भावे ने समाज में जन-जागृति लाने के लिए कई महत्वपूर्ण और सफल प्रयास किए. उनके सम्मान में उनके निधन के पश्चात हज़ारीबाग विश्वविद्यालय का नाम विनोबा भावे विश्वविद्यालय रखा गया.



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