भारतीय संविधान को नीचा दिखाने और अपनी वेबसाइट पर कथित तौर पर ‘देशद्रोही’ सामग्री छापने के आरोप में कानपुर के कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को गिरफ़्तार करके पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. त्रिवेदी के ख़िलाफ़ ये आरोप भी लगाया गया था कि उन्होंने अपनी वेबसाइट पर आपत्तिजनक सामग्री डाली है.
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मुंबई में हुए अन्ना के आदोलन के दौरान कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी ने एक कार्टून बनाया था. इस कार्टून में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह में मौजूद तीन सिंहों की जगह भेड़िए का सिर और ‘सत्यमेव जयते’ की जगह ‘भ्रष्टमेव जयते’ लिखा गया. पुलिस ने असीम के खिलाफ राजद्रोह के अलावा आईटी एक्ट, राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न एक्ट और साइबर क्राइम एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया है.
असीम त्रिवेदी देश एक जाने माने कार्टूनिस्ट हैं. उनकी गिरफ्तारी पर इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कई सदस्यों के साथ कई बड़े न्यायाधीशों ने विरोध जताया है. असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने यह पूरी तरह से सिद्ध कर दिया है कि वह अपने खिलाफ किसी भी विरोध को बर्दाश्त नहीं कर सकती. भले ही संविधान ने लोगों को अभियक्ति के साथ-साथ कई तरह के अधिकार दिए हों लेकिन जहां सरकार की अनुमति नहीं है वहां संविधान भी कुछ नहीं कर सकता.
जिस तरह से लोगों ने सरकार की गलत नीतियों और भ्रष्ट आचरण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सोशल मीडिया को एक महत्वपूर्ण जरिया बनाया है इससे सरकार हर समय ताक में रहती है कि इस जरिये को कैसे नेस्तनाबूद किया जाए. दरअसल यही एक जरिया है जहां लोग एक साथ सरकार और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ खड़े दिखाई देते हैं. कुछ तस्वीरे और कंटेट डालकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हैं.
पिछली कुछ घटनाओं पर नजर डालें तो सरकार को विरोध करने का यह तरीका ‘जले पर नमक छिड़कने’ के समान लगता है. अपने खिलाफ हो रहे विरोध पर वह सोशल मीडिया को ही जिम्मेदार ठहराती हैं इसलिए चाहे आपत्तिजनक सामग्री के बहाने या फिर असम दंगे के बाद हो रहे पलायन पर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की बात करने लगती है. इस नए तरीके की अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर वे सभी राजनीतिक पार्टियां भी एक हो जाती हैं जिन्होंने केंद्र सरकार की भ्रष्ट नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा होता है.
सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करना राजद्रोह लगता है. उसके लिए वह देशद्रोह कभी नहीं है जहां बड़ी-बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों को कौड़ियों के दाम बेच दिया जाता है. उनके लिए यह बात संविधान के खिलाफ नहीं है जहां लोकतंत्र के मंदिर में बैठकर अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है अश्लील वीडियो देखा जाता है.
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