Menu
blogid : 321 postid : 861

गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे: क्या यह केवल परिवार की वफादारी का ईनाम है

sushil kumar shindeभारतीय राजनीति में कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिसके बारे में पढ़ कर आश्चर्यचकित रहे बिना रहा नहीं जा सकता है. यहां आम आदमी कभी भी संसद में पहुंच नहीं सकता, संसद में जाने का अधिकार उन्हीं लोगों को है जिनके पास मनी पावर और मसल पावर हो. यहां राजनीति से बाहर रहने वाला व्यक्ति अपराधी हो सकता है लेकिन अगर कोई अपराधी राजनीति में प्रवेश करता है तो उसके सारे अपराध मिट जाते हैं. वह एक साफ छवि का ईमानदार नेता बन जाता है.


Read : हाय रे बिजली: अंधरे में डूबा उत्तर भारत


अब हाल की बात ले लीजिए एक मंत्री जी की जिनके ऊपर करोड़ों रुपये के आदर्श सोसायटी घोटाले के आरोप हैं. जब वह उर्जा मंत्री थे तब जाते-जाते उन्होंने दो दिनों तक लगभग आधे से अधिक देश को अंधकार के नरक में ढकेल दिया लेकिन देश का दुर्भाग्य तो देखो, उसी उर्जा मंत्री का प्रमोशन होता है और वह देश के सबसे महत्वपूर्ण पद (गृह मंत्री) पर प्रतिष्ठित हो जाता है. वहां भी उसका भाग्य उसकी योग्यता पर सवाल उठाता है. जिस दिन वह गृह मंत्री बनता है उसके अगले दिन महाराष्ट के पुणे में कई बम ब्लास्ट हो जाते हैं. यहां हम बात कर रहे हैं कांग्रेस नेता और दस जनपथ के विश्वासपात्र सुशील कुमार शिंदे की.


सुशील कुमार शिंदे की पदोन्नति उन्हें सरकार के उन सबसे महत्वपूर्ण और ताकतवर मंत्रियों में शामिल कर देती है जिनके किसी भी विषय पर निर्णय को आजकल कांग्रेस में सर्वोपरि माना जाता है. महाराष्ट्र के शोलापुर में वर्ष 1941 में एक दलित परिवार में जन्में शिंदे ने दयानंद कॉलेज से आर्ट्स डिग्री ली जबकी शिवाजी विश्वविद्यालय से कॉनून की डिग्री हासिल की है.


शिंदे वर्ष 1965 तक शोलापुर की अदालत में वकालत करते रहे फिर पुलिस में भर्ती हो गए. छह साल तक पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद के रूप में महाराष्ट्र सरकार की सेवा करते रहे. सुशील कुमार शिंदे पांच बार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य चुने गए. वह राज्यमंत्री से लेकर वसंतराव पाटिल की सरकार में वित्तमंत्री भी रहे. 2003 में वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने इसके अलावा वह एक बार महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.


वर्ष 1992 में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया. यही वह मौका था जब शिंदे 6 साल तक कांग्रेस आलाकमान की नजरों में रहे और एक विश्वासपात्र नेता बनने में कामयाब हो गए. इसी का ही परिणाम था कि वर्ष 1999 में उन्हें अमेठी में सोनिया गांधी का प्रचार संभालने का मौका मिला. 1999 में वे लोकसभा के लिए चुने गए फिर सोनिया गांधी के निर्देश पर वर्ष 2002 में उन्होंने एनडीए के उम्मीदवार भैरोसिंह शेखावत के ख़िलाफ़ उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. जब केंद्र में 2004 में यूपीए की सरकार आई तो उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेजा गया लेकिन उन्होंने एक साल में ही पद छोड़ दिया. 2006 में वो एक बार फिर राज्यसभा के सदस्य बने और फिर ऊर्जा मंत्री. 2009 के चुनाव के बाद दूसरी बार ऊर्जा मंत्री बनाए गए. आज वह देश के गृह मंत्री और प्रणब मुखर्जी जी की जगह लोकसभा में सदन के नए नेता बन गए हैं.


महाराष्ट्र में मामूली सब-इंस्पेक्टर से गृह मंत्री तक का सफर सुशील कुमार शिंदे के लिए आलाकमान की तरफ से दिए गए एक बड़े पुरस्कार की तरह है. कांग्रेस में इस तरह का उपहार केवल उन्हीं लोगों को मिलता है जो गांधी परिवार के बेहद ही विश्वासपात्र हैं. किंतु सुशील कुमार शिंदे को इस पद के अनुरूप अपने आप को साबित करके भी दिखाना होगा ताकि उनके ऊपर केवल परिवार की वफादारी से उपकृत होने का आरोप मिट सके.


Read : आखिर क्यों हो रही है असम में हिंसा


Sushil Kumar Shind to be leader of House in Lok Sabha, Union Home Minister Sushil Kumar Shinde sushil kumar shinde as a minister of power, sushil kumar shinde profile, sushil kumar shindein hindi.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh