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बाल गंगाधर तिलक पुण्यतिथि: Bal Gangadhar Tilak’s Profile

स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा

उपरोक्त कथन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सिपाहियों में से एक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के हैं. लोकमान्य तिलक ही थे जिन्होंने सर्वप्रथम स्वराज का नारा उठाया था. आज लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि है तो चलिए आज उन्हें श्रद्धांजलि दें और अपनी यादों में उन्हें जीवित करें.


Bal Gangadhar TilakBal Gangadhar Tilak in Hindi

बाल गंगाधर का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था. उनका बचपन का नाम केशव बाल गंगाधर तिलक था. बचपन से ही देशप्रेम की भावना उनमें कूटकूट कर भरी थी. प्रारम्भिक शिक्षा मराठी में प्राप्त करने के बाद गंगाधर को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने के लिए पूना भेजा गया. उन्होंने डेक्कन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. उनका सार्वजनिक जीवन 1880 में एक शिक्षक और शिक्षक संस्था के संस्थापक के रूप में आरम्भ हुआ. इसके बाद ‘केसरी’ और ‘मराठा’ जैसे समाचार पत्र उनकी आवाज के पर्याय बन गए.


Bal Gangadhar Tilak on Swaraj

कांग्रेस की स्थापना के बाद पहली बार स्वराज का नारा बाल गंगाधर तिलक ने दिया ही था. कांग्रेस की स्थापना तो वर्ष 1885 में हो चुकी थी. वर्ष 1929 में एक प्रस्ताव पारित होने से पहले किसी ने भी स्वराज का दावा प्रस्तुत नहीं किया था जबकि तिलक इससे काफी पहले [वर्ष 1897 में] यह मांग कर चुके थे. वह स्वराज के पहले दावेदार थे. उनकी ही भांति बोस ने भी यह संकल्प अपनाया.


गणेश उत्सव की शुरूआत

लोकमान्य तिलक ने राष्ट्रवाद की भावना विकसित करने के लिए लोगों को एकत्रित करने के उद्देश्य से 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में गणेश उत्सव मनाने की परंपरा शुरू की थी. इस बारे में उनके प्रपौत्र ने कहा कि लोकमान्य ने गणेश उत्सव की परंपरा लोगों को एक स्थान पर इकट्ठा कर उन्हें राष्ट्रवाद की ओर मोड़ने के लिए शुरू की थी.


क्रांति के सहायक

लोकमान्य तिलक एक राष्ट्रवादी होने के साथ ही अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए भी जाने जाते थे. बतौर संपादक उन्होंने खुदीराम बोस जैसे युवा क्रांतिकारियों का खुलकर पक्ष लिया और अंग्रेजी हुकूमत को अपने निशाने पर रखा. वर्ष 1890 में कांग्रेस में शामिल हुए तिलक की उनकी उदारवादी विचारधारा के लिए आलोचना होने लगी. वह कांग्रेस के गरम दल का प्रतिनिधित्व करते थे. वह वर्ष 1907 में कांग्रेस से अलग हुए, लेकिन दोबारा वर्ष 1916 में इसमें शामिल हो गए. इस बीच, उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना और एनी बेसेंट के साथ आल इंडिया होम रूल लीग का भी गठन किया.

तिलक ने भारतीय समाज में कई सुधार लाने के प्रयत्न किए. वे बाल-विवाह के विरुद्ध थे. उन्होंने हिन्दी को सम्पूर्ण भारत की भाषा बनाने पर ज़ोर दिया. भारतीय संस्कृति, परम्परा और इतिहास पर लिखे उनके लेखों से भारत के लोगों में स्वाभिमान की भावना जागृत हुई.


Death of Bal Gangadhar Tilak in Hindi

देश के इस महान नेता ने 01 अगस्त, 1920 को अपनी आखिरी सांसें लीं. उनकी मौत से दुखी होकर महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता और नेहरू जी ने भारतीय क्रांति के जनक की उपाधि दी थी. उनके निधन पर लगभग 2 लाख लोगों ने उनके दाह-संस्कार में हिस्सा लिया.


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