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Shivraj Patil – एक सशक्त राजनेता शिवराज पाटिल

shivraj singh patilशिवराज पाटिल का जीवन परिचय

पंजाब के वर्तमान राज्यपाल और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर, 1935 को ब्रिटिश कालीन बंबई के लातूर जिले में हुआ था. लिंगायत समुदाय से संबंधित शिवराज पाटिल ने उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से विज्ञान में डिग्री लेने के बाद कानून की पढ़ाई पूरी करने के लिए बंबई यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. जून 1963 में शिवराज पाटिल ने विजया पाटिल से विवाह संपन्न किया. वर्ष 1967-69 के बीच शिवराज पाटिल लातूर नगर निगम में सदस्य बनने के बाद स्थानीय प्रशासन में शामिल हुए.


शिवराज पाटिल का राजनैतिक सफर

वर्ष 1972 से 1980 के बीच वह महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे. उन्होंने लगातार दो बार (1972-1978 और 1978-1980) यह पद संभाला. आठ साल लंबे इस कार्यकाल में शिवराज पाटिल ने लोक शिकायतों से संबंधित समिति के सभापति, कानून, न्यायिक, सिंचाई और प्रोटोकॉल मंत्रालय में उपमंत्री, विधानसभा सदन के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष के पद पर कार्य किया. वर्ष 1980 के सातवें लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद शिवराज पाटिल पहली बार केन्द्रीय राजनीति में शामिल हुए और इसके बाद निरंतर छः लोकसभा चुनावों में उनकी विजय हुई. सबसे पहले इन्दिरा गांधी के काल में शिवराज पाटिल वर्ष 1980-1982 तक रक्षा राज्य मंत्री रहे. इसके बाद वह 1982-1983 तक वाणिज्य मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभारी नियुक्त किए गए. इसके बाद उन्हें एक वर्ष (1983-1984) के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का पदभार भी प्रदान किया गया. वर्ष 1983-1986 तक शिवराज पाटिल वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे. इसके अलावा वह रक्षा, विदेश मसले, वित्त और संसद सदस्यों के वेतन व भत्ते से संबंधित विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे.


राजीव गांधी के शासनकाल में शिवराज पाटिल कार्मिक मंत्री और रक्षा उत्पादन मंत्री बनाए गए. उन्हें नागरिक उड्डयन और पर्यटन मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभारी भी नियुक्त किया गया.


सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बन जाने के बाद भी शिवराज पाटिल को कई महत्वपूर्ण पद प्रदान किए गए. 10 जुलाई, 1991 को शिवराज पाटिल ग्यारहवीं लोकसभा के अध्यक्ष बनाए गए. उनका यह कार्यकाल 22 मई 1996 तक चला. 2004 चुनावों में लातूर निर्वाचन क्षेत्र से असफल होने के बावजूद शिवराज पाटिल केन्द्रीय गृहमंत्री नियुक्त किए गए. जुलाई 2004 में वह राज्यसभा सदस्य नामित हुए. लेकिन वर्ष 2008 में मुंबई आतंकवादी हमलों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए शिवराज पाटिल ने गृहमंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया.


शिवराज पाटिल की उपलब्धियां

  • वर्ष 1995 में शिवराज पाटिल ने उत्कृष्ट सांसद अवार्ड की शुरुआत कर लोकप्रियता हासिल की.

  • 1999 के लोकसभा चुनावों के दौरान शिवराज पाटिल कांग्रेस पार्टी की घोषणापत्र समिति के सभापति नियुक्त किए गए.

  • संसद के दोनों सदनों में चलने वाले प्रश्नोत्तर काल का लाइव प्रसारण करने की पहल शिवराज पाटिल ने ही की थी.

  • वर्ष 1991-1995 में शिवराज पाटिल विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संसदीय सम्मेलनों के लिए भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के अध्यक्ष भी रहे.

शिवराज पाटिल से जुड़े विवाद

  • 2008 में पहले दिल्ली और फिर मुंबई को आतंकवादियों ने अपना निशाना बनाया. लेकिन गृहमंत्री पद पर रहते हुए शिवराज पाटिल दोनों धमाकों को रोक पाने में असफल आबित हुए. इसीलिए उन्होंने मुंबई हमलों के बाद अपने गृहमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी इस असफलता पर संयुक्त राष्ट्र के राजदूत डेविड मल्फर्ड ने शिवराज पाटिल को अयोग्य और काम के समय सोता हुआ व्यक्ति कहा था.

  • वर्ष 2007 के राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनावों में शिवराज पाटिल को कांग्रेस ने अपना प्रतिनिधि चुना था, लेकिन उनके नाम पर विरोधी पार्टियों ने असहमति जाहिर की, जिसके बाद सोनिया गांधी ने प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का नाम सुझाया था.

13 सितंबर, 2008 को कुछ ही समय के भीतर दिल्ली में कई जगह धमाके हुए. लेकिन शिवराज पाटिल हर घटनास्थल का मुआइना करने से पहले अपने कपड़े बदलना नहीं भूले. उनकी इस गैर जिम्मेदाराना हरकत को मीडिया ने बुरी तरह प्रचारित किया. इसके बाद लगभग सभी पार्टियों ने शिवराज पाटिल के रवैये की निंदा की थी. वर्तमान समय में शिवराज पाटिल पंजाब प्रांत के राज्यपाल और चंडीगढ़ के व्यवस्थापक हैं.


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