जीवन-परिचय
देश के बारहवें प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल का जन्म 4 दिसंबर, 1919 को अविभाजित पंजाब के प्रांत झेलम में हुआ था. जब कॉग्रेस ने संयुक्त मोर्चा सरकार से नेतृत्व परिवर्तन ना करने पर समर्थन वापसी की शर्त रखी तो ऐसे में देवगौड़ा के स्थान पर इन्द्र कुमार गुजराल ने प्रधानमंत्री का पदभार संभाला. इन्द्र कुमार गुजराल का नाम भी उन प्रधानमंत्रियों की सूची में शुमार है जो किसी कारण अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. इनके पिता अवतार नारायण गुजराल स्वतंत्रता सेनानी थे. पिता के प्रभाव में वह भी मात्र बारह वर्ष की आयु से ही स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे थे. इन्द्र कुमार गुजराल ने बी.ए, एम.ए, पी.एच.डी और डी. लिट् की उपाधियां प्राप्त कीं. उन्हें हिन्दी और अंग्रेजी के साथ उर्दू का भी अच्छा ज्ञान था.
इन्द्र कुमार गुजराल का व्यक्तित्व
इन्द्र कुमार गुजराल का व्यक्तित्व, अपने पिता जो स्वयं एक स्वतंत्रता सेनानी थे, से बहुत हद तक प्रभावित था. उन्होंने केवल भारत की स्वतंत्रता का महत्व ही नहीं समझा बल्कि शिक्षा को भी अपने जीवन में अहम स्थान दिया. वह एक गंभीर और आकर्षक व्यक्तित्व वाले और विचार संप्रेषण में माहिर प्रधानमंत्री थे. वह उर्दू भाषा भी धारा प्रवाह के साथ बोलते थे. राजनीति के अतिरिक्त उन्हें उर्दू काव्य के प्रति भी गहरा लगाव था. उन्होंने उर्दू भाषा में कई काव्य रचनाएं भी कीं.
इन्द्र कुमार गुजराल का राजनैतिक जीवन
इन्द्र कुमार गुजराल का राजनैतिक जीवन युवावस्था से ही आरंभ हो गया था. मात्र बारह वर्ष की आयु में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना शुरू कर दिया था. भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका के चलते 23 वर्ष की आयु में उन्हें जेल भी जाना पड़ा. स्वतंत्रता के पश्चात केन्द्रीय राज्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए इन्होंने संचार एवं संसदीय कार्य मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, सड़क एवं भवन मंत्रालय तथा योजना एवं विदेश मंत्रालय के कार्य भी संभाले. यह कॉग्रेस पार्टी से लंबे समय तक जुड़े रहे तथा राजनायिक के रूप में इन्दिरा गांधी को भी अपनी सेवाएं प्रदान की. लेकिन जल्द ही इनका कॉग्रेस से मोह भंग हो गया और इन्होंने जनता दल की सदस्यता ले ली. समाजवादी विचारधार से पोषित जनता दल में आने के बाद इन्द्र कुमार गुजराल का भाग्योदय हुआ और जल्द ही देवगौड़ा के इस्तीफे के बाद गुजराल को प्रधानमंत्री पद प्राप्त हो गया. प्रशासनिक कार्यों के अलावा इन्द्र कुमार गुजराल के पास शासन का भी अनुभव था जो उनके बहुत काम आया. फलस्वरूप वह खुद को साबित करने में सफल रहे.
इन्द्र कुमार गुजराल की उपलब्धियां
अपने राजनैतिक जीवन में वह पूर्णत: ईमानदार और अपने दायित्वों के प्रति समर्पित रहे. इनकी गिनती उन प्रधानमंत्रियों में की जाती है जिन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को सदैव बनाए रखा. आज भले ही उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया हो लेकिन साहित्यिक रूचि होने के कारण वह अकसर साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी निभाते रहते हैं.
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