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Indira Gandhi – विश्व राजनीति की लौह महिला इन्दिरा गांधी

Indira gandhi

जीवन परिचय

स्वतंत्र भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी का जन्म प्रसिद्ध नेहरू परिवार में 19 नवंबर, 1917 को इलाहाबाद में हुआ था. इंदिरा गांधी का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी है. इनके पिता पं. जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ साथ वकालत के पेशे से भी संबंधित थे. इंदिरा गांधी का परिवार आर्थिक रूप से संपन्न होने के साथ-साथ बौद्धिक रूप से भी काफी सशक्त था. इनके पिता और दादा (मोतीलाल नेहरू) दोनों ही स्वतंत्रता आंदोलनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे थे जिसका प्रभाव इंदिरा गांधी पर भी पड़ा. परिवार की राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में अत्याधिक सक्रियता और मां कमला नेहरू की बीमारी की वजह से बालिका इंदिरा को शुरू से ही पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध नहीं हो पाया था, जिस कारण इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई. आगे की शिक्षा इन्होंने पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय और इंगलैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से प्राप्त की.

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इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व

पढ़ाई में एक सामान्य दर्जे की छात्रा रही इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी को विश्व राजनीति में लौह-महिला के रूप में जाना जाता है. वैयक्तिक तौर पर वह एक दृढ़ निश्चयी और निर्णय लेने में आत्म-निर्भर महिला थीं. माता की खराब सेहत और पिता की व्यस्तता के चलते उनका अधिकांश बचपन नौकरों के साथ बीता. भले ही राजनैतिक पृष्ठभूमि और स्वतंत्रता आंदोलनों की वजह से उन्हें परिवार का अपेक्षित दुलार प्राप्त नहीं हो सका, लेकिन ब्रिटिश काल में भारत के बिगड़ते हालातों ने उन्हें इन आंदोलनों और संपूर्ण स्वाधीनता की जरूरत को भली प्रकार समझा दिया था. इन्दिरा गांधी ने अपने पिता को कार्यकताओं को संबोधित करते हुए सुना था. परिवार में अकेले होने के कारण उनका अधिकतर समय पिता की नकल करते हुए ही गुजरता था. उनके जैसी भाषण शैली में उनके पिता पं जवाहर नेहरू के प्रभाव को महसूस किया जा सकता था. ऐसी सामाजिक और पारिवारिक परिस्थितियों ने उन्हें एक मजबूत व्यक्तित्व प्रदान किया जो आगे चलकर उनके सफल राजनैतिक जीवन का आधार बना.

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Indira gandhiइंदिरा गांधी का राजनैतिक योगदान

गुलाम भारत की चिंतनीय स्थिति को इंदिरा ने बचपन में ही भांप लिया था. उनको यह समझ आ गया था कि किसी भी राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता कितनी जरूरी है. क्रांतिकारियों और आंदोलनकारियों की सहायता करने के उद्देश्य से उन्होंने अपने हम उम्र बच्चों और कुछ मित्रों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का गठन किया जिनका उद्देश्य देश की आजादी के लिए लड़ रहे लोगों को गुप्त और महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान करना था. इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी को राजनीति की समझ विरासत में मिली थी, जिसकी वजह से जल्दी ही उनका प्रवेश राजनीति में हो गया था. यहां तक की पं जवाहर लाल नेहरू भी कई मसलों पर इंदिरा गांधी की राय लेते और उसे मानते भी थे. उचित और तुरंत निर्णय लेने की क्षमता ने कॉग्रेस सरकार में इंदिरा गांधी की महत्ता और उनके कद को कई गुणा बना दिया था. अपने दृढ़ और संकल्पशील आचरण की वजह से वह दो बार देश की प्रधानमंत्री रहीं. खलिस्तान आंदोलन को कुचलने और स्वतंत्र भारत में व्याप्त रजवाड़ों का प्रीवी-पर्स समाप्त करने का श्रेय इंदिरा गांधी को ही जाता है. अपनी राजनैतिक जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए उन्होंने दो दशकों तक देश को मंदी के हालातों से बचाए रखा. देश को अधिक मजबूत और सशक्त बनाने के लिए इंदिरा गांधी ने कई प्रयास भी किए. इसके अलावा देश में पहला परमाणु विस्फोट करने का श्रेय भी मुख्य रूप से इंदिरा गांधी को ही जाता है.


इंदिरा गांधी की उपलब्धियां

अपने राजनैतिक कार्यकाल में उन्होंने कई उपलब्धियों को हासिल किया जिनमें निम्न प्रमुख हैं.


  • बैंकों का राष्ट्रीयकरण सर्वप्रथम इंदिरा गांधी ने ही किया था.
  • रजवाड़ों का प्रीवी-पर्स समाप्त करना उनकी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
  • ऑप्रेशन-ब्लू स्टार जिससे खालिस्तानी आंदोलन को समाप्त किया गया इंदिरा गांधी के आदेशों के अंतर्गत ही चलाया गया था.
  • पांचवी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत गरीबी हटाओ का नारा दिया और देश से निर्धनता समाप्त करने के बीस सूत्रीय कार्यक्रमों का निर्धारण किया गया.


इंदिरा गांधी का निधन

खलिस्तान समर्थकों ने उनके द्वारा चलाए गए ऑप्रेशन ब्लू-स्टार का बहुत विरोध किया लेकिन इंदिरा ने इस ऑपरेशन को वापस नहीं लिया और उनके इस फैसले से नाराज उनके अंगरक्षकों ने ही उन्हें 31 अक्टूबर, 1984 को गोली मार दी.



इंदिरा गांधी का राजनैतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. देश पर इमरजेंसी लगा मानवाधिकारों का हनन करना हो या खलिस्तान के विरोध में चलाया गया ऑप्रेशन ब्लू-स्टार जैसे कदमों पर आलोचकों और समाजशास्त्रियों द्वारा उनकी आलोचनाएं भी की जाती रहीं. आलोचकों का मानना है कि खलिस्तान के समर्थन में आंदोलन पहले इंदिरा गांधी और ज्ञानी जैल सिंह ने ही शुरू किया था लेकिन फिर बाद में इंदिरा ने ही इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए ऑप्रेशन ब्लू-स्टार चलाया. लेकिन अपनी आलोचनाओं से वह घबराई नहीं बल्कि उनका सामना किया और आगे बढ़ीं. अपने फौलादी व्यक्तित्व और सकारात्मक दृष्टिकोण की वजह विश्व में उन्हें सबसे ताकतवर महिलाओं की श्रेणी में गिना जाता है. भारतीय राजनीति में उनके निर्णयों को मिसाल के तौर पर देखा जाता है. आज भी कई युवा जो राजनीति में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं इंदिरा गांधी को ही अपना आदर्श मानते हैं.


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